देश भर की विभिन्न अदालतों में पूर्व और वर्तमान सांसदों/विधायकों के खिलाफ 4122 मामले लंबित हैं. इनमें से कुछ मुकदमे तो तीन दशकों से भी ज़्यादा समय से लंबित हैं. सुप्रीम कोर्ट ने लंबित मुकदमों की इतनी तादाद को देखते हुए आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाई कोर्ट से कहा कि एमपी/एमएलए के खिलाफ लंबित मुकदमों की सुनवाई के लिए सेशन्स जज और मजिस्ट्रेट नियुक्त करें.
कोर्ट ने कहा कि सेशन्स जज उन 430 मुकदमों को प्राथमिकता दें जिनमें उम्र कैद तक सज़ा हो सकती है. इस आदेश की शुरुआत बिहार और केरल हाई कोर्ट से होगी. इन राज्यों के हाई कोर्ट ज़रूरत के हिसाब से अपनी मर्जी से डिस्ट्रिक्ट और मजिस्ट्रेट कोर्ट गठित कर पाएंगे. ऐसे मुकदमों की हर रोज़ सुनवाई होगी. ये सभी कोर्ट हाई कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौपेंगे. इसके बाद हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौपेंगे.
सबसे ज़्यादा मामले यूपी में लंबित
सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई एमिकस क्यूरी विजय हंसारिया की रिपोर्ट के मुताबिक देश भर में पूर्व और वर्तमान एमपी/ एमएलए के खिलाफ 4,122 केस लंबित हैं. इनमें से 2,324 केस मौजूदा एमपी/ एमएलए पर, वहीं 1,675 केस पूर्व एमपी/एमएलए के खिलाफ लंबित हैं. इनमें से 1991 केस में तो अभी तक आरोप तक तय नहीं हुए है, जबकि 264 में हाईकोर्ट से रोक लगी हुई है.
इनमे से सबसे बड़ी तादाद यूपी में लंबित मुकदमों की है. यूपी में एमपी/एमएलए के खिलाफ लंबित 992 केस को स्पेशल कोर्ट से ट्रांसफर कर दिया है. यूपी में अकेले पूर्व सांसद अतीक अहमद के खिलाफ 22 एफआईआर दर्ज है.
और पढ़ें : सोनिया-राहुल गांधी की आय के मूल्यांकन पर सुप्रीम कोर्ट ने नहीं लगाई रोक, 8 जनवरी को अगली सुनवाई
इसके अलावा महाराष्ट्र में एमपी/एमएलए के खिलाफ 303 केस, बिहार में 304 केस, केरल के 312 केस, ओडिशा में 331 केस, तमिलनाडु में 321 केस, पश्चिम बंगाल में 269 केस लंबित हैं.
Source : Arvind Singh