अब तक के सबसे बड़े हवाई सर्वेक्षणों (Aerial Survey) में से एक के तहत लगभग 6 लाख गांवों का नक्शा बनाने के लिए देश में जल्द ही 500 से ज्यादा हाई रिजॉल्यूशन ड्रोन (Drone) तैनात किए जाएंगे. यह सर्वे 83 करोड़ से ज्यादा भारतीयों की आवासीय संपत्तियों को वैध करने के लिए किया जा रहा है. यह सर्वे पूरा होने के बाद भारत (India) की एक बड़ी आबादी को अपनी ग्रामीण आवासीय संपत्ति को मान्यता मिल जाएगी और वे इसका उपयोग वित्तीय संपत्ति के रूप में कर पाएंगे. इसके लिए सर्वे ऑफ इंडिया कन्याकुमारी से कश्मीर (Kashmir) और शिलांग से सोमनाथ तक की पूरी ग्रामीण भूमि पर ड्रोन पायलटों की एक बड़ी फौज तैनात करेगा.
एक गांव का नक्शा बनाने में लगते हैं 15 मिनट
इसे लेकर पंचायती राज मंत्रालय के केंद्रीय सचिव सुनील कुमार बताते हैं, 'एक हाई-टेक ड्रोन को एक औसत भारतीय गांव का नक्शा बनाने में लगभग 15 मिनट लगते हैं. हम उम्मीद करते हैं कि मार्च 2024 तक यह काम पूरा हो जाएगा.' तेलंगाना को छोड़कर लगभग सभी भारतीय राज्यों ने अपने-अपने क्षेत्राधिकार में आने वाली ग्रामीण संपत्तियों का नक्शा बनाने की सहमति दे दी है. कुमार आगे कहते हैं, 'एक बार सर्वेक्षण पूरा हो जाने के बाद हर मालिक को प्रॉपर्टी कार्ड दिया जाएगा, जो कि उन्हें अपनी आवासीय संपत्ति का उपयोग वित्तीय संपत्ति के रूप में करने की अनुमति देगा. यानि कि वे उस संपत्ति के आधार पर बैंकों से ऋण ले सकेंगे.' बता दें कि चालू वित्त वर्ष के दौरान सरकार ने भारत में इस मेगा भूमि सर्वेक्षण परियोजना में तेजी लाने के लिए 566 करोड़ रुपये दिए हैं.
40 हजार गांवों पर पायलट प्रोजेक्ट पूरा
इस योजना के लिए ड्रोन सर्वे का एक पायलट प्रोजेक्ट 40 हजार गांवों पर सफलतापूर्वक पूरा किया जा चुका है. सूत्रों ने बताया कि उत्तर प्रदेश में पायलट प्रोजेक्ट के दौरान सैकड़ों लोगों को प्रॉपर्टी कार्ड दिए गए. इतना ही नहीं कुछ किसानों ने तो इसके बाद बैंकों से ऋण भी मांग लिया है. गौरतलब है कि ग्रामीण भारत के करोड़ों लोगों को राहत देने वाली इस बड़ी और महत्वाकांक्षी योजना को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रमोट कर रहे हैं. पिछले साल उन्होंने ही इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू करवा दिया था, जिसमें 6 राज्यों- उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र को कवर किया गया था. बाद में राजस्थान और आंध्र प्रदेश भी इससे जुड़े.
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पीएम मोदी का था विचार
2019 के अंत में मंत्रियों की एक बैठक के दौरान मोदी ने यह विचार रखा था. सूत्र बताते हैं, 'प्रधानमंत्री ने महसूस किया कि संपत्ति के सत्यापन से ग्रामीण भारत में रहने वाली 68 फीसदी से ज्यादा आबादी को फायदा होगा, बल्कि केंद्रीय कृषि और पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर महाराष्ट्र की एक टीम के संपर्क में है जिसने ग्रामीण संपत्ति के सत्यापन के लाभ के बारे में सुझाव दिया था,' अप्रैल 2020 में पायलट प्रोजेक्ट शुरू करते समय इसे 'स्वामीत्व योजना' नाम दिया गया था. इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण आवासीय संपत्ति के माप और स्वामित्व पर चल रहे विवादों को खत्म करना है.
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बन सकेंगे सटीक भूमि रिकॉर्ड
चूंकि ग्रामीण आवासीय संपत्ति पर टैक्स नहीं लगता है, इसलिए इसको वैध करने के लिए ज्यादा काम नहीं किया गया है, जबकि कृषि भूमि का लेखा-जोखा बहुत अच्छी तरह से रखा गया है. ऐसे में इस सर्वे से राज्य सरकारों को सटीक भूमि रिकॉर्ड बनाने में भी मदद मिलेगी. पंचायती राज मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी के अनुसार अभी जर्मनी से आयात किए गए 162 ड्रोन को भूमि सर्वे के लिए तैनात किया जा चुका है और इनकी सटीकता लगभग 5 सेमी है. साथ ही हवाई सर्वे के दौरान हर ड्रोन को ऑपरेट करने के लिए 2 टेक्नीशियंस की जरूरत है. इतना ही नहीं सटीक सर्वेक्षण पूरा हो जाने के बाद ई-कॉमर्स के जरिए गांवों में डाक से पार्सल भी भेजे जा सकेंगे.
HIGHLIGHTS
- 6 लाख गांवों का नक्शा बनाने 500 से ज्यादा हाई रिजॉल्यूशन ड्रोन होंगे तैनात
- ड्रोन सर्वे का एक पायलट प्रोजेक्ट 40 हजार गांवों पर सफलतापूर्वक पूरा
- एक औसत भारतीय गांव का नक्शा बनाने में लगभग 15 मिनट लगते हैं