लोक लेखा समिति (पीएसी) ने रक्षा मंत्रालय को बोफोर्स स्कैंडल से जुड़ी गायब हुईं सभी फाइलों को उसके साथ साझा करने को कहा है। रक्षा मसलों पर गठित और बीजेडी सासंद भरत्रुहारी माहताब की अध्यक्षता वाले छह सदस्यों की उप-समिति बोफोर्स डील पर सीएजी रिपोर्ट की कई लंबित पहलुओं की जांच कर रही है।
पीएसी ने मंत्रालय के उन सुझावों पर भी कड़ी प्रतिक्रिया जताई जिसमें कहा गया था कि सीएजी रिपोर्ट की कुछ बातों को हटा दिया जाए क्योंकि इससे जुड़ी कुछ फाइलें गुम हैं। संसदीय समिति की बैठक में यह बातें हुई थीं।
इस बैठक के दौरान पीएसी चेयरमैन माहताब और बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने इस बात पर जोर दिया कि गुम हुई फाइलों को जल्द खोजा जाए और इसे साझा किया जाए। इस मीटिंग के ब्यौरे के मुताबिक रक्षा मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों ने इस बात पर सहमति जताई कि मंत्रालय जरूरी सभी फाइलों को पीएसी से साझा करेगा।
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लोक लेखा समिति के दो सांसद सदस्यों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि मंत्रालय ने सभी जानकारियों को साझा करने पर सहमति जताई है।
बोफोर्स तोप घोटाले को आजाद भारत के बाद सबसे बड़े मल्टीनेशनल स्कैम के तौर पर देखा जाता है। 1986 में हथियार बनाने वाली स्वीडन की कंपनी बोफोर्स ने 400 तोपें सप्लाई का सौदा किया था। यह डील 1.3 अरब डॉलर की थी।
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बाद में यह बात सामने आई कि डील हासिल करने के लिए 64 करोड़ रुपए दलाली दी गई। उस समय राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे। इसी घोटाले के चलते 1989 में राजीव गांधी की सरकार गिर गई थी। सीएजी की बोफोर्स पर रिपोर्ट पीएसी के पास रखी सबसे पुरानी फाइल है। बता दें सीएजी की रिपोर्ट संसद में रखे जाने के बाद उसकी जांच पीएसी करती है।
Source : News Nation Bureau