पिछले कुछ दिनों में फिल्म 'पद्मावती' का विरोध कर करणी सेना सुर्खियों में है। ऐसे में ङर कोई जानना चाहता है कि आख़िर ये संगठन कौन सा है।
आपको याद होगा इससे पहले फिल्म 'जोधा-अकबर' के रिलीज़ के समय भी करणी सेना ने विरोध प्रदर्शन किया था।
बताया जाता है कि साल 2006 में करणी सेना नाम से एक संगठन बनाया गया था। इस संगठन की उत्पत्ति आरक्षण की मांग को लेकर हुई थी। करणी सेना के मुताबिक राजस्थान में फिलहाल साढ़े सात लाख रजिस्टर्ड मेंबर हैं।
इनके साथ जुड़े सभी सदस्य 40 की उम्र के नीचे हैं और इस सेना के फाउंडर लोकेंद्र सिंह कालवी हैं। इस संगठन का एकमात्र उद्देश्य राजपूत बिरादरी के हितों की रक्षा करना है।
साल 2008 में आशुतोष गोवरीकर के निर्देशन में बनी फिल्म 'जोधा-अकबर' का करणी सेना ने विरोध किया था। आगे चलकर 2013 में इसी नाम से बनाए गए एक टीवी सीरियल का विरोध किया था। करणी सेना का तब भी यह आरोप था कि सीरियल में तथ्यों के साथ छेड़-छाड़ की गई है।
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साल 2014 में करणी सेना ने जयपुर साहित्य उत्सव का भी विरोध किया था।
संगठन के लोगों का कहना है कि इस संगठन को बनाने का उद्देश्य सामाजिक था। वो अपने बिरादरी के युवाओं को सही मार्ग और राजपूत समाज से जोड़ने के लिए काम कर रहे थे।
उनका मानना था कि राजनीतिक पार्टी उनकी बिरादरी के लिए बेहतर विकास नहीं कर सकती इसलिए वो बिना राजनीति से प्रेरित हुए तमाम बातों का ख़्याल रखेंगे। लेकिन आगे चलकर जैसे-जैसे लोग बढ़े इनका हस्तक्षेप भी बढ़ता चला गया।
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करणी नाम क्यों पड़ा?
दरअसल राजस्थान में करणी माता को दुर्गा का अवतार माना जाता है, साथ ही करणी माता यहां के कुछ प्रमुख राजघरानों की कुल देवी भी हैं। जोधपुर और बीकानेर की रियासत में करणी माता के लिए अपार श्रद्धा है इसलिए इस संगठन का नाम करणी सेना रखा गया।
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Source : News Nation Bureau