राजनायिक के उत्पीड़न के मामले को ज्यादा तूल देने पर विदेश मंत्रालय ने हैरानी जतीत हुए कहा है कि ये घटना सामान्य है और इस पर सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि राजनयिकों या उच्चायुक्तों को बुलाना एक सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है और ऐसा सभी देश करते हैं भारत ने भी किया है।
उन्होंने कहा कि इसमें कोई परेशान या तंग करने जैसी बात नहीं है और जब भी ज़रूरत पड़ती है तो भारत भी तमाम देशों में स्थित अपने राजनयिकों को सलाह के लिये बुलाता है। इसमें रिकॉल जैसी कोई बात नहीं है।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में हमारे राजनयिकों को भी परेशान किया जाता है और हम इन मामलों को राजनयिक चैनलों के जरिये पाकिस्तान के सामने उठाते हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को हमारी शिकायतों पर ध्यान देना चाहिये और हमारे राजनयिकों को सुरक्षा देनी चाहिये।
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उन्होंने कहा कि साथ ही कहा कि विएना कन्वेंशन के तहत हमें जो सुविधाएं और अधिकार मिले हैं, उसे देना पाक को सुनिश्चित करना चाहिये।
भारतीय उच्चायोग से संबंधित एक सवाल के जवाब में रवीश कुमार ने कहा कि पाकिस्तान को भी अपनी शिकायतें मीडिया के बजाय राजनयिक माध्यम से उठाना चाहिये। हम विएना कंवेंशन से बंधे हैं और उसे लागू करते हैं।
उन्होंने कहा, 'हम उन मामलों की विस्तृत जानकारी नहीं दे सकते, जिसे हमने पाकिस्तान सरकार के साथ उठाया है। इन्हें कूटनीति माध्यम से पूरा किया जाना चाहिए, मीडिया के जरिए नहीं। हम उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तान इसे गंभीरता से लेगा और उन मसलों को सुलझाएगा।'
पाक अखबार में खबर छपी थी कि भारत में नियुक्त पाकिस्तानी उच्चायुक्त सुहैल महमूद और उनके परिवार को परेशान किया जा रहा है। पाकिस्तान के विदेश मामलों के प्रवक्ता के अनुसार उन्हें महानिदेशक (दक्षिण एशिया और सार्क) मोहम्मद फैज़ल द्वारा बुलाया गया और इस संबंध में विरोध भी दर्ज कराया गया है।
उन्होंने कहा, 'नई दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग के अधिकारियों और परिवारों के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है।'
हालांकि पाकिस्तान के इन आरोपों और खबरों का भारत ने खंडन किया है और कहा है कि इसका जवाब पाकिस्तान सरकार को राजनयिक माध्यम से दिया जा रहा है।
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Source : News Nation Bureau