गुरुवार रात 12 बजे से भारत (India) और पाकिस्तान (Pakistan) में सीजफायर घोषित किया गया है. डीजीएमओ स्तर की वार्ता में हुए इस अहम फैसले के तहत सीमा पर दोनों ही देश फायरिंग से परहेज करेंगे. इसके साथ ही दोनों देश हॉटलाइन से संपर्क रखने और सीमा पर होने वाली फ्लैग मीटिंग पर भी सहमत हुए हैं. इसके जरिये किसी गलतफहमी को दूर करने में मदद मिलेगी औऱ तनावपूर्ण स्थिति को भी काबू में रखा जा सकेगा. गौरतलब है कि पुलवामा (Pulwama) आतंकी हमले के बाद से दोनों देशों में तनाव व्याप्त है औऱ भारत ने व्यापारिक संबंधों तक को ताक पर रखा हुआ है.
जारी हुआ संयुक्त बयान
एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों ही पक्ष अब तक हुए समझौतों को गंभीरता के साथ लागू करेंगे. एलओसी पर सीज फायर रहेगा. इस समझौते में सीमा से लगे कई सेक्टरों को शामिल किया गया है. डीजीएमओ स्तर की बातचीत के बाद जारी एक संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि दोनों पक्षों के बीच सौह्द्रपूर्ण माहौल में बातचीत हुई. इसमें सहमति बनी कि भारत-पाकिस्तान सीमा पर सामने आने वाले गतिरोध औऱ चुनौतियों के संदर्भ में हॉटलाइन के जरिये एक-दूसरे के संपर्क में रहेंगे.
MHA provides details of ceasefire violations, terrorist attacks, civilians & security force personnel killed/injured in ceasefire violations & terrorist attacks along with the number of terrorists killed in counter-attacks during each of the last three years in J&K, in Parliament pic.twitter.com/w1DCIvtrfn
— ANI (@ANI) February 2, 2021
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बीते साल 48 फीसदी बढ़ा संघर्ष विराम
कश्मीर में आतंकी हमलों के मामले साल 2019 की तुलना में पिछले साल यानी 2020 में 50 प्रतिशत से भी कम रहे, जबकि 2019 की तुलना में 2020 में भारत-पाकिस्तान सीमा पर संघर्ष विराम उल्लंघन लगभग 48 प्रतिशत तक बढ़ गया. इस अवधि के दौरान कश्मीर में सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए आतंकवादियों की संख्या में 41 प्रतिशत की वृद्धि हुई. साल 2020 में 5,133 बार सीजफायर का उल्लंघन हुआ, जबकि साल 2019 में 3,479 बार संघर्ष विराम उल्लंघन हुआ. वहीं, साल 2018 में पाकिस्तान की ओर से 2,140 बार सीजफायर का उल्लंघन किया गया.
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पाकिस्तान ने साल 2018 में 30 नागरिकों की लीं जानें
तीनों सालों में आम नागरिक की हत्याओं की संख्या के अंतर पर बात करें तो पाकिस्तान की ओर से साल 2018 में 30 नागरिकों को अपना निशाना बनाया गया, जबकि साल 2019 में 18 नागरिकों की मौत हुई. पिछले साल यानी 2020 में पाकिस्तान ने 22 लोगों की हत्याएं कीं. इतना ही नहीं इन 3 सालों में सीजफायर उल्लंघन के दौरान सुरक्षा बलों के शहीद होने के आंकड़ों पर गौर करें तो जहां साल 2020 में 24 जवान मारे गए. वहीं साल 2019 में कुल 19 जवानों को अपनी जान गंवानी पड़ी. जबकि 2018 में पाकिस्तान ने 24 जवानों की जानें ले लीं.
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तीन सालों में 600 से ज्यादा आतंकवादी ढेर
जम्मू और कश्मीर में साल 2020 में 244 आतंकी हमलों में 37 नागरिक और 62 सुरक्षाकर्मी हताहत हुए. साल 2019 में 592 आतंकी घटनाएं हुईं थी, जिनमें 37 नागरिक और 80 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे. वहीं 2018 में सबसे ज्यादा 614 आतंकी हमले हुए थे. जिनमें 39 नागरिक और 90 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे. साल दर साल बात करें तो 2018 में 257 आतंकी, 2019 में 157 और 2020 में 221 आतंकवादियों को पिछले तीन सालों में जम्मू और कश्मीर में मौत के घाट उतार दिया गया.
HIGHLIGHTS
- डीजीएमओ स्तर की बातचीत के बाद अहम समझौता
- हॉटलाइन के जरिये रहेंगे भारत-पाकिस्तान संपर्क में
- पिछले साल संघर्ष विराम घटनाओं में 48 फीसदी वृद्धि
Source : News Nation Bureau