पाकिस्तान भले ही नकारा रहा है कि भारतीय वायुसेना के हमले से उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा है, लेकिन जैश के आतंकी संगठनों को नष्ट करने के भारत के पास पर्याप्त सबूत हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद की 4 इमारतों को निशाना बनाया था, जिसमें जैश का मदरसा तलीम-उल-कुरान भी शामिल था. हालांकि, सरकार के उच्च सूत्रों से बातचीत के अनुसार, इंडियन एयरफोर्स द्वारा किए गए हमले में कितने लोग मरे हैं अभी इसका कोई कंफर्म आंकड़ा नहीं मिल पा रहा है. सिर्फ आतंकवादियों के मरने के कयास लगाए जा रहे हैं.
यह भी पढ़ें ः विंग कमांडर Abhinandan को पकड़ने से लेकर छोड़ने तक झूठ बोलता रहा पकिस्तान
सूत्रों का कहना है कि खुफिया एजेंसियों के पास सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) की तस्वीरों के तौर पर सबूत हैं. जिसमें चार इमारतें दिख रही हैं. इनकी पहचान उन लक्ष्यों के तौर पर हुई है, जिन्हें मिराज-2000 ने पांच एस-2000 प्रिसिजन गाइडेडे म्यूनिशन (पीजीएम) के जरिए निशाना बनाया था. ये बिल्डिंग मदरसे के परिसर में थे, जिसे जैश संचालित कर रहा था. यह उसी पहाड़ी की रिज लाइन पर स्थित है, जिसे वायुसेना ने निशाना बनाया था. पाकिस्तान ने इस बात को स्वीकार किया है कि उस क्षेत्र में भारत ने बमबारी की थी, लेकिन उसने आतंकी ठिकानों को निशाना बनाए जाने या किसी तरह के नुकसान होने की बात को नकारा है.
यह भी पढ़ें ः भारतीय पायलट ने F16 को गिराया, उसके पायलट को पाकिस्तानियों ने भारतीय समझकर मार डाला
एक अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तानी सेना ने स्ट्राइक के बाद मदरसों को सील क्यों कर दिया? उसने मदरसे के अंदर पत्रकारों को जाने की इजाजत क्यों नहीं दी? हमारे पास SAR तस्वीरें सबूत के तौर पर हैं, जो दिखाते हैं कि इमारत का इस्तेमाल अतिथिगृह के तौर पर होता था, जहां मौलाना मसूद अजहर का भाई रहता था. एल आकार वाली इमारत में प्रशिक्षु रहा करते थे. दोमंजिला इमारत का इस्तेमाल मदरसे में प्रवेश करने वाले छात्रों के लिए होता था और अन्य इमारत में अंतिम कॉम्बैट का प्रशिक्षण पाने वाले प्रशिक्षु रहते थे. यह सभी बमबारी की चपेट में आ गए.
यह भी पढ़ें : पाकिस्तान की बढ़ सकती है मुश्किलें, भारत के खिलाफ F 16 का इस्तेमाल करने पर अमेरिका सख्त, मांगा जवाब : सूत्र
अधिकारी ने आगे कहा कि यह राजनीतिक नेतृत्व पर निर्भर करता है कि वह उन तस्वीरों को जारी करके उन्हें सार्वजनिक बनाना चाहते हैं जो वर्गीकृत क्षमता है. एसएआर तस्वीरें सैटेलाइट तस्वीरों की तरह साफ नहीं हैं. हमें मंगलवार को अच्छी तस्वीरें नहीं मिली, क्योंकि आसमान में घने बादल लगे हुए थे. इससे बहस सुलझ जाती. मदरसे का चुनाव बहुत सावधानी से किया गया था, क्योंकि यह वीराने में स्थित था और वहां नागरिकों की मौत होने का अंदेशा बहुत कम था. वायुसेना को दी गई खुफिया जानकारी सटीक और समयानुकूल थीं.
यह भी पढ़ें ः बहादुर विंग कमांडर अभिनंदन की वतन वापसी, पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा- वेलकम होम, पढ़ें किसने क्या कहा
वायुसेना ने लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए एस-2000 पीजीएम का इस्तेमाल किया था. सैन्य अधिकारी ने कहा कि एस-2000 एक जैमर प्रूफ बम है, जो घने बादल होने के कारण भी अपना काम सटीकता से काम करता है. यह पहले छत के अंदर प्रवेश करता है, फिर इमारत के अंदर जाता है और फिर फट जाता है. छत के प्रकार के हिसाब से सॉफ्टवेयर को प्रोग्राम किया जाता है, जिसमें उसकी मोटाई, निर्माण सामाग्री आदि को देखा जाता है. इसके कारण पीजीएम में देरी होती है.
Source : News Nation Bureau