पाकिस्तान (Pakistan) भले ही कंगाली के मुहाने पर पहुंच चुका है और देश के भीतर गृहयुद्ध के हालात बन रहे हों, लेकिन भारत (India) के प्रति दुश्मनी के भाव में कहीं कोई कमी नहीं आई है. वह लगातार हमलों की साजिश रच रहा है. यह अलग बात है कि सतर्क भारत अपनी खुफिया शक्ति की बदौलत आईएसआई (ISI) और पाकिस्तानी सेना की हर नापाक चाल को नाकाम करता आ रहा है. भारतीय सुरक्षा बलों ने पाकिस्तान पोषित-पल्लवित आतंकवाद को सबसे ज्यादा चोट जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में पहुंचाई है. वहां न सिर्फ अधिकांश घुसपैठ को रोकने में सुरक्षा बल सफल रहे हैं, बल्कि किसी तरह भारतीय सीमा पार कर घुसे आतंकियों को ठिकाने लगाने का अभियान भी बदस्तूर जारी है. ऐसे ही एक सफल ऑपरेशन के बाद पिछले दिनों सुरक्षा बलों ने जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-E-Mohammad) से जुड़े एक आतंकी को गिरफ्तार किया था. उससे पूछताछ में खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान की नजर अब भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान और उनसे जुड़े आला अधिकारियों पर है. इनमें भी सबसे ऊपर नाम आता है राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (Ajit Doval) का, जिनकी रेकी पाकिस्तान के कहने पर गिरफ्तार जैश के आतंकी ने की थी. हालांकि गिरफ्तारी से पहले वह पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं को रेकी से जुड़ा एक वीडियो भेजने में सफल रहा था.
अजीत डोभाल पर है पाकिस्तान की नापाक नजर
अंग्रेजी समाचार पत्र हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार भारत में आतंक फैलाने के पाकिस्तानी साजिशों का फिर पर्दाफाश हो गया है. बीते दिनों गिरफ्तार हुए जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ने खुलासा किया है कि पाकिस्तान भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल पर पैनी नजर रखे है. इसके लिए पाकिस्तान ने डोभाल के दफ़्तर की रेकी तक कराई. जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी के इस खुलासे बाद दिल्ली में सरदार पटेल भवन और अन्य अहम ठिकानों समेत राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के दफ्तर और आवास के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई है. गौरतलब है कि अजीत डोभाल भारत के सबसे अधिक अहम शख्सियतों में से एक हैं. अजीत डोभाल 2016 की उरी सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 बालाकोट अटैक के बाद से ही पाकिस्तान से संचालित होने वाले आतंकी समूहों के निशाने पर हैं.
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लश्कर-ए-मुस्तफा के प्रमुख का खुलासा
प्राप्त जानकारी के मुताबिक जैश के आतंकी हिदायत-उल्लाह मलिक से पूछताछ के दौरान अजीत डोभाल के कार्यालय की जासूसी वाले वीडियो के बारे में जानकारी सामने आई. शोपियां के रहने वाले इस जैश ऑपरेटर मलिक को 6 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था. मलिक के खिलाफ जम्मू के गंग्याल पुलिस स्टेशन में धारा 18 और 20 यूएपी अधिनियम के तहत एक केस दर्ज किया गया है. मलिक, जो कि जैश फ्रंट समूह, लश्कर-ए-मुस्तफा का प्रमुख है को अनंतनाग में गिरफ्तार किया गया था और उसके पास से हथियार और गोला बारूद बरामद किए गए थे. इस घटनाक्रम से परिचित लोगों ने के मुताबिक हिदायत ने पूछताछ में बताया कि 24 मई 2019 को उसने एनएसए के कार्यालय समेत केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के सुरक्षा विस्तार का एक जासूसी वाला वीडियो रिकॉर्ड करने के लिए इंडिगो की फ्लाइट से श्रीनगर से नई दिल्ली आया था. उसने एनएसए के दफ्तर की रेकी करने के बाद उस रिकॉर्ड किए गए वीडियो को व्हाट्सएप के जरिए अपने पाकिस्तान स्थित हैंडलर को भेज भी दिया. हैंडलर का उसने 'डॉक्टर' नाम बताया है.
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अहमद डार के साथ भी साजिश रची
बताते हैं कि दिल्ली में रेकी करने और वीडियो पाकिस्तान भेजने के बाद मलिक बस में बैठकर कश्मीर वापस लौट गया. उसने जम्मू-कश्मीर पुलिस की पूछताछ में स्वीकार किया है कि उसने समीर अहमद डार के साथ 2019 में गर्मी के समय सांबा सेक्टर सीमा क्षेत्र की भी रेकी थी. अहमद डार वही है, जिसे 21 जनवरी, 2020 को पुलवामा आतंकी हमले में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. हिन्दुस्तान टाइम्स को मिली जानकारी के अनुसार, मलिक ने मई 2020 में एक आत्मघाती हमले के लिए एक हुंडई सैंट्रो कार दी थी और उसने स्वीकार किया कि उसने और तीन अन्य जैश आतंकवादियों- इरफान ठोकर, उमर मुश्ताक और रईस मुस्तफा- ने शोपियां में नवंबर 2020 में जम्मू-कश्मीर बैंक के कैश वैन से 60 लाख रुपये लूट लिए.
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पाकिस्तान हैंडलर के नाम और नंबर भी बताए
जैश ऑपरेटर ने हैंडलर सहित पाकिस्तान में अपने 10 संपर्कों के नामों, कोड नामों और फोन नंबरों का भी खुलासा किया है. जम्मू-कश्मीर पुलिस ने सुरक्षा एजेंसियों को इसका पूरा ब्योरा उपलब्ध करा दिया है. उसके दो कांटेक्ट बाद में शोपियां और सोपोर में मारे गए. अधिकारियों ने कहा कि मलिक ने पूछताछकर्ताओं को अपने बैकग्राउंड के बारे में विस्तार से बताया कि वह 31 जुलाई 2019 को हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हुआ था. फरवरी 2020 में जैश में आने से पहले जैश के लिए ओवर ग्राउंड वर्कर के रूप में काम किया और फिर उसी साल अगस्त में एक अलग आतंकी फ्रंट ग्रुप खड़ा किया. एनएसए अजीत डोभाल और जैश प्रमुख मसूद अजहर की दुश्मनी काफी पुरानी है. 1994 में भारत में अजहर की गिरफ्तारी के बाद इंटेलिजेंस ब्यूरो के संयुक्त डायरेक्टर के तौर पर डोभाल ने आतंकी मसूद से पूछताछ की थी और फिर 1999 में विमान हाइजैक होने के बाद कांधार एयरपोर्ट पर भी पहुंचाया था. भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने अजीत डोभाल को लेकर जैश के नापाक मंसूबों को काफी गंभीरता से लिया है और एनएसए के खतरे को ट्रैक करने का प्रयास किया जा रहा है.
HIGHLIGHTS
- पाकिस्तान अब भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान के खिलाफ रच रहा साजिश
- एनएसए प्रमुख अजीत डोभाल पर है पाक खुफिया की नापाक नजर
- आतंकी खुलासे के बाद दिल्ली में अजीत डोभाल की सुरक्षा बढ़ाई गई