जम्मू कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले में देश के 40 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए थे. इस हमले के बाद देश के लोगों में पाकिस्तान को उसके किए की सजा देने की मांग जौर पकड़ रही थी. वहीं सरकार इसके लिए जल्दी और सही मौके के तलाश में थी. क्योंकि यह इतना आसान नहीं था भारत की हर हरकत पर दुश्मन देश पाक की नजरें गढ़ीं हुईं थी. इसके लिए इंडियन एयरफोर्स ने पाकिस्तानी पर हवाई हमला करने के लिए 'एक जाल बिछाया' था. पाकिस्तान के बालाकोट में जैश कैंप पर एयर स्ट्राइक के दौरान इंडियन एयरफोर्स ने पाकिस्तानी कॉम्बेट एयर पैट्रोल को रोकने के लिए 'एक चाल चली और जिसमें पाकिस्तान आसानी से आ गया'.
यह भी पढ़ें- रक्षा राज्य मंत्री ने वायुसेना विंग कमांडर से की मुलाकात, अभिनंदन ने कहा- जल्द कॉकपिट में चाहता हूं वापसी
दरअसल IAF के कुछ फाइटर प्लेन पंजाब प्रांत के बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद के हेडक्वार्टर की तरफ बढ़े ताकि असल स्ट्राइक वाले कैंप से पाकिस्तानी एयर पैट्रोल विमानों को दूर रखा जा सके. जबकि असल एयर स्ट्राइक 26 फरवरी को आईएएफ ने खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के बालाकोट स्थित जैश कैंप पर की थी.
मिराज-2000 और सुखोई-30एमकेआई, आईएल-78 और एडब्लूएसीएस (एयरबोर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम) एयरक्राफ्ट के अलावा दूसरे एयरक्राफ्ट्स ने फॉरवर्ड एयरबेस की जगह ग्वालियर, आगरा और बरेली से उड़ाने भरीं. इन एयरक्राफ्ट ने इस अचानक हुई स्ट्राइक के लिए गोपनीयता बरतते हुए एलओसी के साथ मुजफ्फराबाद सेक्टर का घुमावदार रूट लिया. मीडिया रिपोर्टस के अनुसार 'सुखोई-30एमकेआई के इस 'जाल' के लिए भारत के पंजाब से उड़ान भरी ताकि ऐसा दिखाया जा सके कि स्ट्राइक ऑफरेशन को जैश के बहावलपुर स्थित मुख्यालय की तरफ अंजाम दिया जा रहा है। पाकिस्तान इस 'झांसे' में फंस गया और उसके फाइटर्स हवा में इसी रास्ते की तरफ बढ़े.'
भारत की जाल में पाकिस्तान फस चुका था 'इस 'जाल' का परिणाम यह हुआ कि असल में जहां स्ट्राइक की गई वहां कोई भी पाकिस्तानी फाइटर नहीं था...सबसे पास मौजूद फाइटर भी लगभग 150 से 160 किलोमीटर से दूरी पर था. इससे पाकिस्तान का वह दावा भी खारिज होता है जिसमें कहा गया था कि आईएएफ फाइटर्स ने बिना कुछ हासिल किए ही बम गिराए. पाक का यह दावा भी उसी तरह गलत साबित हुआ जैसे उसने 27 फरवरी को हवाई हमले में F-16 विमान को इस्तेमाल न करने की बात कही थी.'
Source : News Nation Bureau