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ISI नेपाल के रास्ते भारत के खिलाफ कर रही यह काम, NIA ने बढ़ाई चौकसी

भारत नेपाल बॉर्डर खुला होने की वजह से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई अब इस रास्ते का फायदा उठाने की कोशिश कर रही है. नेपाल के रास्ते पाकिस्तानी एजेंसी 2000 और 500 के जाली नोट भारत भेज रही है.

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Dalchand Kumar
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Indo-Nepal border

ISI नेपाल के रास्ते भारत के खिलाफ कर रही यह काम, NIA ने बढ़ाई चौकसी( Photo Credit : फाइल फोटो)

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भारत नेपाल बॉर्डर खुला होने की वजह से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई अब इस रास्ते का फायदा उठाने की कोशिश कर रही है. नेपाल के रास्ते पाकिस्तानी एजेंसी 2000 और 500 के जाली नोट भारत भेज रही है. इन जाली नोटों को कराची की सरकारी प्रेस में छापा जा रहा है, जहां से दाऊद की गुर्गों के जरिए भारत भेजा जा रहा है. हाल ही में उत्तर प्रदेश के पीलीभीत और बहेड़ी में लाखों रुपए की जाली नोट पकड़े गए थे. जाली नोटों की खेप को इसी रैकेट से जोड़कर देखा जा रहा है. लिहाजा भारतीय खुफिया एजेंसी सतर्क हो गई है और नेपाल बॉर्डर पर चौकसी बढ़ाने को कहा गया है

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खुफिया एजेंसियों की लगातार नेपाल और बांग्लादेश के बॉर्डर पर नजर है. क्योंकि आईएसआई नेपाल के अलावा बांग्लादेश मैं दाऊद के नेटवर्क का इस्तेमाल कर रही है. पीलीभीत और बहेड़ी में जिन लोगों को हिरासत में लिया गया था, उनसे भी नेटवर्क की जानकारी खंगालने की कोशिश की जा रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जाली नोटों का रैकेट नेपाल बॉर्डर पर चलाया जा रहा है जहां एक के बदले 3 जाली नोट दिए जाते हैं.

आई एस आई नेपाली बॉर्डर का इस्तेमाल इसलिए भी कर रहा है, क्योंकि भारत नेपाल बॉर्डर खुला होने की वजह से आसानी से जाली नोटों को उत्तर प्रदेश और उसके आसपास के राज्यों में आसानी से भेजा जा सकता है. बताया जाता है कि नेपाल में बैठे डिस्ट्रीब्यूटर 10% कमीशन लेकर जाली नोटों को भारत में सप्लाई कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, खुफिया विभाग के अधिकारियों की मानें तो पाकिस्तान में 500 और 2000 के जिन जाली नोट को तैयार किया गया है, नोटों को पाकिस्तान की सरकारी प्रेस में छापा गया है. भारत के असली नोटों और पाकिस्तान के जाली नोटों के कागज और स्याही में इतनी ज्यादा समानता है कि बैंक के अधिकारी भी धोखा खा रहे हैं.

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पाकिस्तान में छापे जा रहे जाली नोटों में ऑप्टिकल वेरिएबल इंक का इस्तेमाल का इस्तेमाल किया जा रहा है. ऑप्टिकल वेरिएबल इंक एक विशेष तरीके की स्याही होती है. इस स्याही का उपयोग 2000 और 500 के नोट के धागे पर किया जाता है. यह स्याही नोट पर हरे रंग की दिखाई देती है, जिससे असली और जाली नोटों में फर्क करना काफी मुश्किल होता है. इस खास किस्म की स्याही को एक विदेशी कंपनी बनाती है, भारत समेत कुछ देशों में इसकी सप्लाई करती है.

मतलब इससे साफ जाहिर होता है कि पाकिस्तान में सरकार की मदद बिना इस स्याही का इस्तेमाल जाली भारतीय नोटों को छापने में नहीं किया जा सकता. यानी आईएसआई की शह पर ही पाकिस्तान की सरकारी प्रेस में भारतीय जाली करेंसी को छापा जा रहा है. नोटबंदी के बाद देश से जाली नोटों का सफाया कर दिया गया था. इससे आतंक के अड्डे और अवैध गतिविधि चलाने वालों की कमर ही टूट गई थी.

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