कुलभूषण जाधव मामले में भारत को पाकिस्तान पर बड़ी जीत हासिल हुई है. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में भारत के पक्ष में 15-1 से फैसला लिया गया. इसमें असहमति जताने वाले एकमात्र न्यायाधीश पाकिस्तान के तसद्दुक हुसैन जिलानी थे. जिलानी इस मामले में तदर्थ (एडहॉक) न्यायाधीश हैं. बुधवार को आईसीजे भारत के पक्ष में सात फैसले दिए और जिलानी ने इन सातों पर अपनी असहमति जताई.
हालांकि, जिलानी अन्य सदस्यों की तरह इस बात से सहमत थे कि भारत द्वारा इस मामले की आईसीजे सुनवाई कर सकता है. अदालत ने जाधव को राजनयिक पहुंच देने के पक्ष में फैसला सुनाया और पाकिस्तान को उनकी फांसी पर रोक जारी रखने के लिए कहा. भारतीय नौसेना के अधिकारी जाधव को अप्रैल 2017 में एक पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने कथित जासूसी के आरोप में मौत की सजा सुनाई थी. इसके बाद भारत ने फांसी पर रोक लगाने के लिए आईसीजे में अपील की थी.
यह भी पढ़ें-रिश्तों को कलंकित कर पिता अपनी ही बेटी के साथ करता रहा गंदा काम
दि हेग में फरवरी 2019 में भारत और पाकिस्तान दोनों से अंतिम बहस की सुनवाई के बाद, जिलानी केवल चौथे दिन ही कार्यवाही में शामिल हो पाए थे क्योंकि उन्हें दिल का दौरा पड़ गया था. उस समय, पाकिस्तान ने जिलानी की बीमारी का हवाला देते हुए आईसीजे से मामले को स्थगित करने का आग्रह किया था. चूंकि पाकिस्तान का कोई भी न्यायाधीश आईसीजे का सदस्य नहीं था, इसलिए पाकिस्तान के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जिलानी को तदर्थ न्यायाधीश के तौर पर नियुक्त किया गया था. भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश दलवीर भंडारी आईसीजे के 15 स्थायी सदस्यों में से एक हैं.
यह भी पढ़ें-कुलभूषण जाधव मामले में ICJ के फैसले पर PM Modi सहित भारतीय राजनेताओं ने क्या कहा, जानें
HIGHLIGHTS
- कुलभूषण जाधव मामले में सिर्फ एक जज ने किया विरोध
- पाकिस्तानी जज तसद्दुक हुसैन जिलानी ने ICJ में फैसले का विरोध किया
- जिलानी के विरोध के बाद भी कुलभूषण मामले पर भारत की जीत