पाकिस्तान की ओर से लगातार बौखलाहट में उल्टे सीधे कदम उठाए जा रहे हैं. पाकिस्तान झूठ पे झूठ बोल रहा है, लेकिन उसकी पोल भी खुल रही है. अब तक जिन आतंकियों और आतंकी संगठनों को पाकिस्तान पालपोस रहा था, अंतरराष्ट्रीय स्तर से दबाव पड़ने के बाद उन पर कार्रवाई तो कर रहा है, लेकिन उसके इस झूठ का भी पर्दाफाश हो गया है. आतंकियों पर नकली एफआईआर दर्ज करने की बात सामने आई है. पाकिस्तान आतंकी और आतंकी संगठनों के खिलाफ या तो झूठी एफआईआर दर्ज कर रहा है या फिर तहरीर इतनी कमजोर है कि मामले अदालतों में सुनवाई के दौरान टिक नहीं सकते.
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आतंकियों पर झूठी कार्रवाई की पोल पाकिस्तान के एक थाने में दर्ज हुई एफआईआर ने खोल दी है. आतंकियों को आर्थिक सहायता पर रोक लगाने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्थान फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की अक्टूबर में बैठक होनी है, जिसमें फैसला लिया जाएगा कि आतंकियों के शरणदाता पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में रखा जाए या नहीं. ब्लैक लिस्ट होने पर उस देश को कड़े आर्थिक प्रतिबंध झेलने पड़ते हैं. बैठक से पहले ही पाकिस्तान अपने बचाव में जुट गया है.
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न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के गुजरवालां में एक जुलाई को लश्कर ए तैयबा और जमात उद दावा से जुड़े आतंकियों पर एफआईआर दर्ज हुई. इसमें आतंकी के दावात-वल इरशद नामक संगठन से जुडे़ होने की बात कही गई. मामला एक जमीन के सौदे का था. कानूनी जानकार बताते हैं कि यह केस अदालत में कहीं भी टिक नहीं पाएगा, दरअसल एफआईआर में जिस दावात वल इरशद को प्रतिबंधित संगठन बताया गया है, उसका नाम बदलकर अब जमात उद दावा हो चुका है, जो कि लश्कर ए तैयबा से जुड़ा आतंकी संगठन है.
बड़ी बात यह भी है कि इस एफआईआर में आतंकी सरगना हाफिज मोहम्मद सईद सहित चार अन्य आतंकियों के कहीं नाम हैं ही नहीं. जबकि यह साफ है कि इन जमीनों का इस्तेमाल आतंकी करते हैं. इस सौदे से ही आतंकियों की फंडिंग भी की जाती है है. कानूनी जानकार कहते हैं कि सभी आरोपियों के नाम न तो एफआईआर में दर्ज हैं और न ही उनके अपराधों का एफआईआर में जिक्र है. पाकिस्तान आतंकियों के खिलाफ नकली और आधे-अधूरे मामले दर्ज कर दुनिया को कार्रवाई के नाम पर गुमराह करना चाहता है.
Source : एएनआई