पाकिस्तान कश्मीर में अलगाववादी आंदोलन को फिर से बढ़ावा देने की जुगत में है. जम्म-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट और अलगाववादी गुट हुर्रियत कॉन्फ्रेंस आगे आ रहा है. एक अंग्रेजी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान आतंकी हमलों में विफलता के बाद से ही शॉफ्ट मूवमेंट के जरिए आतंक फैलाने की कोशिश में है. हालांकि, कश्मीर में अलगाववादियों और पूर्व आतंकवादियों की गिरफ्तारी से अलगाववाद को फिर से शुरू करना चाह रहा है. रिपोर्ट की मानें तो पाकिस्तान के आतंकी आंकाओं के इशारों पर केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में अलगाववाद सक्रिय हो रहा है.
रिपोर्ट के अनुसार, घाटी में अलगाववादी तत्व शांति भंग करने के लिए फिर से पथराव और हड़ताल की तैयारी में है. पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई को यह लगने लगा है कि सीमा पर भारतीय जवानों से लड़ने में वह सक्षम नहीं है. सीमा पर ज्यादातर पाकिस्तानी जवान ढेर हो जाते हैं. ऐसे में उसने फिर से शॉफ्ट मूवमेंट के जरिए घाटी में शांतिपूर्ण हालात को बिगाड़ने के लिए हड़ताल और पथराव शुरू करना चाहते हैं. रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा है कि आईएसआई लोकसभा चुनाव 2024 से पहले कश्मीर में अशांति फैलाने और अलगाववादी आंदोलन शुरू करने की तैयारी में है. इसमें कोई शक नहीं मोदी सरकार को सत्ता में आने के बाद से ही अलगाववादी संगठनों की सेहत बिगड़ी हुई है. 2017 से इन संगठनों को धन की भारी कमी झेलनी पड़ रही है. अलगाववादी नेताओं को लगता है कि वह छोटे मोटे प्रदर्शन और पथराव कर फिर से संगठनों को सक्रिय कर लेगा और उनके पास धन आने लगेंगे.
घाटी में अलगावादियों को सक्रिय होने में दो महीने से अधिक का वक्त
सूत्रों की मानें तो कड़ी सुरक्षा के बीच कश्मीर में अलगाववादियों को अपनी रणनीति बनाने में दो महीने से अधिक का समय लग गया था. हालांकि, अलगाववादी संगठनों की हर गतिविधियों पर भारत की सुरक्षा एजेंसियों की पैनी नजर बनी हुई थी. जम्मू कश्मीर पुलिस ने बताया कि 10 पूर्व आतंकवादियों और अलगाववादी नेताओं और कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई है. पूछताछ के दौरान कई अहम खुलासे हुए हैं.
Source : News Nation Bureau