57 मुस्लिम देशों के संगठन OIC में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का जाना और पाकिस्तान द्वारा इस बैठक का बहिष्कार करना कूटनीतिक तौर पर भारत की यह बड़ी जीत है. सुषमा स्वराज संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा ले रही हैं. यह बैठक ऐसे समय में हो रही है, जबकि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है और पाकिस्तान ने भारत को इस बैठक में आमंत्रित किए जाने पर आपत्ति जताते हुए इसमें हिस्सा लेने से इनकार कर दिया है.
EAM Sushma Swaraj at OIC conclave: I come from land of Mahatma Gandhi where every prayer ends with call for 'shanti' that is peace for all. I convey our best wishes, support&solidarity in your quest for stability, peace, harmony, economic growth&prosperity for your people&world. pic.twitter.com/jTspGKacsx
— ANI (@ANI) March 1, 2019
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यह पहला मौका है, जब भारत इस अहम बैठक में हिस्सा ले रहा है, जबकि पाकिस्तान इसमें शामिल नहीं है. पुलवामा हमले और बालाकोट में एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने लगातार अड़ंगा लगाता रहा. इसके बावजूद यूएई की ओर से भारतीय विदेश मंत्री को 'गेस्ट ऑफ ऑनर' का दिया गया. जहां तक पाकिस्तान की बात करें तो OIC में इसकी स्थिति काफी मजबूत है. यह ओआईसी का दूसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है. यह अकेला मुस्लिम देश है जिसके पास परमाणु बम है.
Pakistan Foreign Minister Shah Mehmood Qureshi: I will not attend Council of Foreign Ministers as a matter of principle for having extended invitation as a Guest of Honour to Sushma Swaraj. (file pic) pic.twitter.com/eRIiSVkox7
— ANI (@ANI) March 1, 2019
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ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) मुस्लिम देशों का संगठन है. 57 देश इसके सदस्य हैं. 25 सितंबर, 1969 को मोरक्को की राजधानी रबात में मुस्लिम देशों का एक सम्मेलन हुआ था. उसी सम्मेलन में इस संगठन के स्थापना का फैसला किया गया था. इसका मुख्यालय सऊदी अरब के जेद्दाह में है. इसके मौजूदा महासचिव युसूफ बिन अहमद अल उसैमीन हैं. इस्लामिक कॉन्फ्रेंस ऑफ फॉरेन मिनिस्टर (आईसीएफएम) की 1970 में पहली मीटिंग हुई.
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इसका सबसे बड़ा उद्देश्य सदस्य राष्ट्रों के बीच आपसी एकता के बंधन को मजबूत करना और उनके हितों की रक्षा करना है. यह संगठन सदस्य राष्ट्रों की अखंडता, उनकी स्वायत्ता और स्वतंत्रता को सुनिश्चित रखने के लिए काम करकता है. इस्लामी राष्ट्रों के बीच आर्थिक व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सामान्य इस्लामी बाजार की स्थापना इसके अहम उद्देश्यों में से एक है.
इससे पहले भी भारत हो चुका है आमंत्रित
सितंबर 1969 में मोरक्को की राजधानी रबात में इस्लामिक समिट कॉन्फ्रेंस का आयोजन हुआ था. उसमें भारत को आमंत्रित किया गया. भारत के राजदूत ने पहले सत्र में शिरकत की थी क्योंकि उस समय तक भारत का प्रतिनिधिमंडल वहां नहीं पहुंचा था. बाद में प्रतिनिधिमंडल के अध्यक्ष कांग्रेस लीडर फखरुद्दीन अली अहमद सम्मेलन में हिस्सा के लिए मोरक्को पहुंचे थे. लेकिन वह एक भी सत्र में शिरकत नहीं कर सके. दरअसल पाकिस्तान ने भारत को न्योते का विरोध किया था जिस वजह से भारत को दिया गया निमंत्रण रद्द कर दिया गया. इस मामले के बाद भारत ने मोरक्को से अपने राजदूत को वापस बुला लिया था.
Source : DRIGRAJ MADHESHIA