राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने आतंकी वित्तपोषण मामले में दाखिल नवीनतम आरोपपत्र में कहा है कि यहां पाकिस्तान उच्चायोग ने एक समारोह व बैठक आयोजित की थी, जिसमें इसने हुर्रियत नेताओं को आमंत्रित किया था और दिशानिर्देश दिए थे कि कैसे धन का अवैध गतिविधि में प्रयोग करना है. एनआईए ने अपने आरोपपत्र में कहा, "इन फंड्स को नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास व्यापार और हवाला माध्यमों व कश्मीर में संबंधित फर्जी कंपनियों द्वारा नई दिल्ली में विदेशी सामानों की खरीदारी के जरिए अवैध रूप से जमा किया गया."
यह भी पढ़ें-महाराष्ट्र : सरकार बनाने में शिवसेना के साथ फंसा पेच, भाजपा की बैठक बुधवार को
आरोपपत्र के अनुसार, "कश्मीरी हैंडलूम सामानों के आयात और निर्यात से प्राप्त धन भी हुर्रियत नेताओं द्वारा उपयोग में लाया गया." एनआईए ने 4 अक्टूबर को जम्मू एवं कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के अध्यक्ष यासीन मलिक, जम्मू एवं कश्मीर डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी के संस्थापक व अध्यक्ष शब्बीर शाह, दुख्तरान-ए-मिल्लत प्रमुख आसिया अंद्राबी, ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस के महासचिव मसरत आलम और पूर्व विधायक राशिद इंजीनियर के खिलाफ नए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत वित्तपोषण मामले में एक दूसरा पूरक आरोपपत्र दाखिल किया था.
यह भी पढ़ें- श्रीनगर: काका सराय में सुरक्षाबलों पर आतंकी हमला, 6 सुरक्षाकर्मी घायल
एजेंसी ने इनलोगों पर 2010 और 2016 में आतंकी गतिविधि और पथराव की घटना करवाने के लिए अवैध रूप से पाकिस्तान से राशि प्राप्त करने का आरोप लगाया था. एनआईए ने कहा कि इसके लिए राशि ऋण के रूप में मध्यपूर्व में रह रहे परिवार के सदस्यों और कश्मीरी निवासियों के समर्थकों के जरिए प्राप्त होता था. आरोपपत्र में यह भी कहा गया है कि कश्मीर घाटी में होटलों के मालिक बुकिंग के रूप में विदेशी धन प्राप्त करते थे और इनमें से कुछ पैसे हुर्रियत नेताओं और उनके कार्यकर्ताओं के पास पहुंचते थे. आरोपपत्र में कहा गया है कि जम्मू एवं कश्मीर बैंक में कई ऋण डिफॉल्टर हैं. ये ऋण केवल हुर्रियत नेताओं और उनके कार्यकर्ताओं के लिए राशि इकट्ठा करने के उद्देश्य से लिए गए थे.