भारत में रहने की आस में पाकिस्तान से आए हिंदू और सिख परिवार अब वापस अपने देश लौटेंगे. ये सभी शरणार्थी भारतीय नागरिकता को हासिल करने के लिए एक लंबे समय से कोशिश और इंतजार कर रहे थे. लेकिन अंत में उनके हाथ में सिर्फ निराशा लगी और अब आर्थिक तंगी के कारण उन्हें वापस पाकिस्तान लौटना पड़ रहा है. बता दें कि मोदी सरकार नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लेकर आई थी लेकिन एक साल बाद भी इसे लागू नहीं कर पाई है. इसका कारण देशभर में NRC-CAA को लेकर विरोध भी बताया जा रहा है.
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पाक लौटने वाले ये शरणार्थी उन 243 पाकिस्तानी नागरिकों में से हैं, जिन्हें बाघा बॉर्डर जाने की परमिशन मिल गई है. अपने देश लौटने वालों में वो पाक नागरिक भी शामिल है जो महामारी कोरोना के कारण भारत में फंसे हुए थे.
पाकिस्तानी नागरिकों के जाने को 'नो ऑब्जेक्शन' की अनुमति देते हुए भारतीय गृह मंत्रालय ने कहा कि जो पाकिस्तानी नागरिक भारत में लॉन्ग-टर्म वीजा पर रह रहे हैं या जिन्होंने इसके लिए आवेदन किया है, उन्हें बाहर जाने के लिए संबंधित FRRO/FRO से अनुमति लेनी होगी.
अधिकारियों के मुताबिक, वापस जाने के ज्यादातर पाकिस्तानी शरणार्थियों के आवेदन गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और दिल्ली से आए हैं. गौरतलब है कि सीएए के तहत 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई प्रवासियों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी, जिन्होंने धार्मिक उत्पीड़न का सामना किया है.
Source : News Nation Bureau