अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनाने के पीछे पाकिस्तान की भूमिका अब सभी के सामने आ चुकी है. तालिबान की सरकार बनने के बाद कुछ देशों ने अपनी विदेश नीति भी बदली है. जहां चीन और रूस खुलकर तालिबान का समर्थन कर रहा है तो वहीं भारत फिलहाल वेट एंट वॉच की स्थिति में है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान के आईएसआई प्रमुख फैज हमीद ने शनिवार को रूस, चीन, ईरान और ताजिकिस्तान के खुफिया प्रमुखों से मुलाकात की है. इस दौरान इन सबने अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनने के बाद दुनिया के बदलते ‘वर्ल्ड ऑर्डर’ पर चर्चा की.
इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद ने इस्लामाबाद में चीन, ईरान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान के खुफिया प्रमुखों के साथ अफगानिस्तान के मुद्दे पर चर्चा की. तीनों देशों के खुफिया प्रमुखों के साथ हुई बातचीत में बताया कि नई सरकार में किन संगठनों और देशों की भूमिका है. हालांकि, बैठक को लेकर किसी भी पक्ष से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है, लेकिन सूत्रों ने पुष्टि की कि आईएसआई के महानिदेशक ने अफगानिस्तान की स्थिति, शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सहयोग करने के तरीके पर चर्चा की. पाकिस्तान ऑब्जर्वर अखबार ने बताया कि रूस, चीन, ईरान, ताजिकिस्तान, कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान के खुफिया प्रमुखों ने बैठक में भाग लिया है.
यह भी पढ़ेंः मुल्ला बरादर के पासपोर्ट से बड़ा खुलासा, तालिबानी शासन के पीछे पाक का हाथ
हमीद इससे पहले सरकार गठन को लेकर काबुल भी गए थे. कहा जा रहा है कि इन सबको उन्होंने अपने उस दौरे के बारे में भी जानकारी दी. सूत्रों के मुताबिक इसके अलावा उन्होंने उनसे ‘आतंकवाद को बढ़ावा देने में पिछली अफगानिस्तान सरकारों के साथ भारत द्वारा निभाई गई भूमिका’ के बारे में भी बात की. इस बैठक पर पाकिस्तान की ओर से भी कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, जिस वजह से पाकिस्तान की मंशा पर सवाल खड़े होने लगे हैं.
अफगानिस्तान को अलग-थलग छोड़ना होगी गलती
सेंटर फॉर एयरोस्पेस एंड सिक्योरिटी स्टडीज (सीएएसएस) इस्लामाबाद द्वारा ‘अफगानिस्तान का भविष्य एवं स्थानीय स्थायित्व: चुनौतियां, अवसर और आगे की राह’ विषय पर आयोजित एक वेबिनार में उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा अफगानिस्तान को फिर से अलग-थलग छोड़ना एक गलती होगी. एक बयान में यूसुफ के हवाले से कहा गया है कि अफगानिस्तान में सोवियत-अफगान मुजाहिदीन संघर्ष के बाद पश्चिमी दुनिया ने अफगानिस्तान को अलग-थलग छोड़ने और इसके 'घनिष्ट सहयोगियों' पर पाबंदियां लगाकर भयावह गलतियां कीं. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान एकमात्र ऐसा देश था जिसने अफगानिस्तान को उसके हाल पर छोड़ने और उसके बाद आतंकवाद के खिलाफ युद्ध का खामियाजा उठाया.
Source : News Nation Bureau