पाकिस्तान (Pakistan) की एक अदालत ने सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी मरियम शरीफ को धनशोधन के एक मामले में जमानत दे दी. लाहौर उच्च न्यायालय की दो सदस्यीय खंडपीठ ने चौधरी सुगर मिल्स धनशोधन मामले में मरियम को जमानत दी. न्यायमूर्ति अली बकर नजफी की अध्यक्षता वाली पीठ 31 अक्टूबर को इस मामले में फैसला सुनाएगी.
मरियम ने ‘गुणदोष और मानवीय आधार पर’ जमानत के लिए अर्जी दी थी. उन्होंने कहा था कि वह अपने पिता की देखभाल करना चाहती हैं, जिनकी अवस्था गंभीर है.
लाहौर उच्च न्यायालय ने एक अधिकारी ने बताया, ‘मरियम को गुणदोष के आधार पर जमानत दी गई है, न कि मानवीय आधार पर.’
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अधिकारी ने कहा कि अदालत ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद जमानत दी. उन्होंने बताया कि अदालत से यह भी कहा कि चूंकि वह एक महिला हैं और जब तक उनके खिलाफ धनशोधन का आरोप साबित नहीं होता, उन्हें सलाखों के पीछे नहीं रखा जा सकता है.
मरियम ने 30 सितंबर को हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और गिरफ्तारी के बाद जमानत मांगी थी. अपने पिता नवाज शरीफ की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्होंने 24 अक्टूबर को एक याचिका दायर की, जिसमें मानवीय कारणों और मौलिक अधिकारों के आधार पर तत्काल जमानत मांगी गई थी.
अदालत ने 31 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था. मरियम ने अपनी जमानत याचिका में यह कहते हुए अंतरिम गिरफ्तारी जमानत की मांग की थी कि उनके परिवार को एक फर्जी मनी लॉन्ड्रिंग (धन शोधन) मामले में फंसाया गया है और वह पीड़ित हैं.
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मरियम को अगस्त में राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) द्वारा गिरफ्तार किया गया था. एनएबी ने दावा किया कि उन्होंने उक्त मामले में सह-अभियुक्त पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और अन्य को सहायता और धन उगाही करने में मदद की है. एजेंसी ने मरियम पर संपत्ति का लाभ उठाने का भी आरोप लगाया.
बुधवार को मरियम के वकील अमजद परवेज ने दलील दी कि आरोपी सीएसएम की लाभार्थी नहीं हैं और न ही उन्होंने सक्रिय रूप से इसके निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के रूप में काम किया था.
मरियम को अगस्त के पहले हफ्ते में गिरफ्तार किया गया था.