पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री इमरान खान ने केरल में आए भयानक बाढ़ में पीड़ितों की मदद की पेशकश की है। उन्होंने सोशल मीडिया ट्विटर पर मदद की पेशकश करते हुए लिखा, 'पाकिस्तान की जनता की तरफ से हम केरल में बाढ़ से बर्बाद हुए लोगों के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। हम केरल के बाढ़ पीड़ितों की मदद की भी कामना करते हैं। हम इस परिस्थिति में हर जरूरू मानवीय सहायता के लिए तैयार हैं।'
On behalf of the people of Pakistan, we send our prayers and best wishes to those who have been devastated by the floods in Kerala, India. We stand ready to provide any humanitarian assistance that may be needed: Pakistan PM Imran Khan (file pic) pic.twitter.com/i4kprDiOlm
— ANI (@ANI) August 23, 2018
यहां खासबात यह है कि भारत ने पहले ही विदेश से मिलने वाली किसी भी वित्तीय मदद को लेने से इनकार कर चुका है। भारत सरकार ने नियमों को हवाला देकर साफ कर दिया है कि केंद्र सरकार देश में आए किसी भी प्राकृतिक आपदा से निपटने में खुद ही सक्षम है। इससे पहले यूएई ने भी करीब 700 करोड़ रुपए की मदद देने का ऐलान किया था जिसे भारत सरकार ने ठुकरा दिया था।
हालांकि यूएई समेत दूसरे देशों से मिल रही मदद को लेकर कांग्रेस सरकार पर दबाव बना रही है कि नियमों में ढील देकर विदेशी मदद को स्वीकार किया जाना चाहिए। इसके लिए कांग्रेस नेता और पूर्व रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने केंद्र से नियम में नरमी ला कर सहायता को स्वीकार करने की अपील की थी।
विदेशी मदद नहीं लेने का फैसला तत्कालीन यूपीए सरकार का फिर अभी विवाद क्यों
गौरतलब है कि साल 2004 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए सरकार ने फैसला लिया था कि देश में आने वाली प्राकृतिक आपदाओं और ऐसे किसी आपातकालीन स्थिति में अब विदेशी मदद नहीं ली जाएगी।
इसके पीछे सरकार का ऐसा मानना था कि अब भारत अपने बल-बूते ऐसी समस्याओं से सफलतापूर्वक निपट सकता है और इसके लिए दूसरे देशों के वित्तीय मदद की जरूरत नहीं है। सरकार अपने पैसों से पुनर्वास और पुनर्निमाण करने में सक्षम है। साल 2013 के उत्तराखंड त्रासदी और साल 2014 में जम्मू-कश्मीर में आए भयानक बाढ़ में भी तत्कालीन यूपीए सरकार ने विदेशी वित्तीय मदद लेने से इनकार कर दिया था।
2004 से पहले विदेशी मदद को स्वीकार कर चुकी है भारत सरकार
हालांकि इससे पहले साल 2004 में बिहार में आए भयानक बाढ़, 2001 में बंगाल में चक्रवात तूफान, 2001 के गुजरात भूकंप, 1993 में लातूर भूकंप जैसे बड़ी प्राकृतिक आपदाओं में विदेशी मदद को स्वीकार कर चुकी है।
प्राकृतिक आपदाओं में विदेशी वित्तीय मदद नियम को बदलने के बाद बीते 14 सालों में भारत सरकार ऐसे किसी संकट में रूस, अमेरिका, जापान जैसे देशों के वित्तीय मदद को ठुकरा चुकी है। साल 2013 में उत्तराखंड त्रासदी और साल 2014 में जम्मू-कश्मीर बाढ़ में भी भारत ने इन देशों से मदद लेने से इनकार कर दिया था।
गौरतलब है कि केरल में आए विनाशकारी बाढ़ में अब तक 370 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है जबकि लाखों लोग बेघर हैं। राज्य की संपत्ति को भी हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।