महान कथक नर्तक पंडित बिरजू महाराज का रविवार देर रात दिल का दौरा पड़ने से दिल्ली में उनके घर पर निधन हो गया. वह 83 वर्ष के थे. देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित बिरजू महाराज को उनके शिष्यों और अनुयायियों द्वारा प्यार से पंडित जी या महाराज जी कहा जाता था. वे भारत के सबसे प्रसिद्ध कलाकारों में से एक थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, रविवार देर रात बिरजू महाराज अपने पोते के साथ खेल रहे थे तभी उनकी तबीयत बिगड़ गई और वे बेहोश हो गए. उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया.
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उनके निधन पर भारत के कला जगत में शोक है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे ऐसी क्षति बताया है जिसकी भरपाई नहीं हो सकेगी. बिरजू महाराज कथक नृत्य परंपरा से जुड़े प्रख्यात लखनऊ घराना से ताल्लुक रखते थे. उनके दादा, पिता, चाचा सभी मशहूर कथक नर्तक रहे थे. लखनऊ घराना के कथक नर्तक नवाब वाजिद अली शाह के दरबार से शुरू हुई कथक परंपरा की विरासत से जुड़े थे. बिरजू महाराज लखनऊ के प्रख्यात कालका-बिंदादीन घराने में पैदा हुए थे. उनका पूरा नाम था, बृजमोहन नाथ मिश्रा. प्यार से पुकारने का नाम था बिरजू. आगे चलकर वह इसी नाम से जाने गए. उनके दादा कालिका प्रसाद मशहूर कथक नर्तक थे.
कुछ दिनों पहले किडनी की बीमारी का चला था पता
कुछ दिनों पहले उन्हें किडनी की बीमारी का पता चला था और वे डायलिसिस पर थे. बिरजू महाराज कथक नर्तकियों के महाराज परिवार के वंशज थे, जिसमें उनके दो चाचा, शंभू महाराज और लच्छू महाराज और उनके पिता और गुरु अचन महाराज शामिल हैं. उन्हें तबला और नाल बजाने का विशेष शौक था. कई तरह के वाद्य यंत्रों में उनकी निपुणता थी. इसके अलावा वह खुद भी बहुत अच्छे गायक थे. ठुमरी, दादरा और भजन गाया करते थे. 'शतरंज के खिलाड़ी' में फिल्माया गया गीत 'कान्हा मैं तोसे हारी' भी बिरजू महाराज ने गाया था.
HIGHLIGHTS
- रविवार देर रात दिल का दौरा पड़ने से दिल्ली में निधन
- सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से थे सम्मानित
- भारत के सबसे प्रसिद्ध कलाकारों में से एक थे बिरजू महाराज
Source : News Nation Bureau