जो भी OBC लेते हैं आरक्षण का लाभ, इस खबर को जरुर पढ़ें

इस रिपोर्ट में क्रीमी लेयर के कॉन्सेप्ट को फिर से परिभाषित किया जाएगा

author-image
Vikas Kumar
एडिट
New Update
जो भी OBC लेते हैं आरक्षण का लाभ, इस खबर को जरुर पढ़ें

OBC CREAMY LAYER

Advertisment

1993 से आज 26 साल के लंबे अंतराल के बाद OBC - Creamy layer के नियमों की समीक्षा होने जा रही है. 1993 में तय नियमों की अब तक उसकी समीक्षा नहीं हुई थी. सामाजिक न्याय मंत्रालय (Ministry of Social Justice and Empowerment) ने 8 मार्च को भारत सरकार के पूर्व सचिव बी.पी.शर्मा के नेत्रृत्व में एक कमिटी बनाई है जो 15 दिनों में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी. इस रिपोर्ट में क्रीमी लेयर के कॉन्सेप्ट को फिर से परिभाषित किया जाएगा और इनमे सुधार और इसके नियमों को सरल बनाने पर सुझाव दिया जाएगा. यह कमिटी 1993 की प्रसाद कमिटी के द्वारा बनाए गए नियमों की समीक्षा करेगी. बता दें कि कमिटी इंदिरा साहनी केस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को भी ध्यान में रखकर अपनी रिपोर्ट बनाएगी.

यह भी पढ़ें: जानें इस कांग्रेसी नेता ने पार्टी के झंडे और अन्य चुनाव प्रचार सामग्री में क्‍यों लगाई आग

क्यों है समीक्षा की जरूरत
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (Department of Personnel & Training) संपन्नता के अलग-अलग पैमानों का इस्तेमाल करता है जिसने क्रीमी लेयर को लेकर विवाद पैदा हुआ. इसकी वजह से ही नियमों की समीक्षा की जरूरत पड़ी. क्रीमी लेयर (Creamy layer) निर्धारित करने के लिए विभाग उन लोगों के लिए पारिवारिक आय के अलग पैमाने का इस्तेमाल करता है जिनके माता या पिता को केंद्र और राज्य सरकारों मे अपनी सेवाएं दे रहे हैं. जबकि PSU में कार्यरत लोगों के लिए पैमाना अलग है. यानि गवर्नमेंट जॉब वालों के लिए अलग नियम और PSU में काम करने वालों के लिए अलग नियम हैं. अब समस्या ये है कि PSU में पदों को Group A, B, C, और D को सरकारी नौकरियों में अलग-अलग ग्रुपों में बांटा गया है जिससे सारा कंफ्यूजन पैदा हुआ है.

यह भी पढ़ें: मनोहर पर्रिकर वो पहले शख्स थे, जिन्होंने नरेंद्र मोदी को पीएम पद के लिए था प्रोजेक्ट

नियमों की समीक्षा को लेकर चिंता क्यों?
सरकार के इस कदम का एक वर्ग द्वारा विरोध भी कर रहा है. पिछड़ा वर्ग (OBC) अधिकार के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता इसके खिलाफ हैं. बता दें कि पहले से ही संवैधानिक दर्जा प्राप्त एक राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (National Commission for Backward Classes - NCBC) है जिसके पास कई तरह की शक्तियां हैं. ऐसे में केंद्र सरकार ने 'क्रीमी लेयर' मामले पर एक्सपर्ट की एक कमिटी का गठन क्यों किया? बीजेपी सदस्यों पर आधारित NCBC के पास OBC से जुड़े प्रावधानों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए उपाय सुझाने की शक्ति मौजूद है. कार्यकर्ताओं का कहना है कि ऐसे में एक अलग कमिटी के गठन की कोई आवश्यकता नहीं है.

यह भी पढ़ें: गोवा में बढ़ी सियासी हलचल, नए सीएम को लेकर फंसा पेंच, नई सरकार बनने में लगेगा समय

क्या है क्रीमी लेयर?
क्रीमी लेयर अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) का आर्थिक रूप से विकसित या संपन्न वर्ग है. जो OBC वर्ग के लोग तय सीमा के अंदर आते हैं उन्हें किसी भी तरह से आरक्षण का लाभ नहीं मिलता. मंडल आयोग पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद क्रीमी लेयर को आरक्षण के लाभ से बाहर रखने के लिए नियम तय किए गए थे. ये नियम प्रसाद कमिटी की रिपोर्ट पर कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के 1993 के मेमोरंडम द्वारा निर्धारित किए गए थे.

Source : News Nation Bureau

reservation OBC Creamy Layer creamy layer committee new committee on creamy layer criteria review
Advertisment
Advertisment
Advertisment