प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को संसद के शीतकालीन सत्र के सुचारु संचालन के लिए विपक्षी दलों से सहयोग मांगा, जबकि कांग्रेस ने राफेल सौदे की जेपीसी जांच और ईवीएम व किसानों की समस्या पर चर्चा की मांग की. लोकसभा चुनाव से पहले इस अंतिम पूर्णकालिक सत्र के लिए सरकार के एजेंडे में 46 विषय हैं, जिसमें 45 विधेयक हैं. बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मीडिया से कहा, 'प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा है कि लोकतंत्र में सरकार और विपक्ष दोनों बेहतर शासन के लिए अपने सुझाव साझा करते हैं.'
तोमर ने कहा, 'मोदी ने कहा कि सरकार नियम और प्रक्रियाओं के मुताबिक सभी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए तैयार है और संसद के सुचारु संचालन के लिए विपक्ष के सुझाव मानने के लिए तैयार है.'
उन्होंने कहा, 'मोदी ने राजनीतिक पार्टियों से सत्र के दौरान सकारात्मक माहौल बनाने और लोगों से जुड़े मामलों को साथ मिलकर सुलझाने की अपील की. उन्होंने कहा कि यह हमारी मुख्य जिम्मेदारी है कि हम संसद का सुचारु संचालन सुनिश्चित कर देश और देश के लोगों की सेवा करें.'
तोमर ने कहा कि बैठक में मौजूद सभी राजनीतिक पार्टियों ने संसद के सुचारु संचालन में सहयोग का आश्वासन दिया.
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार राफेल लड़ाकू विमान सौदे में जेपीसी जांच के लिए तैयार होगी? उन्होंने कहा कि विपक्ष के पास राफेल, किसानों की दुर्दशा और अर्थव्यवस्था से संबंधित कई मामले हैं, लेकिन उन्हें अपनी प्राथमिकताएं तय करनी होगी, क्योंकि सत्र केवल चार सप्ताह का है.
उन्होंने कहा, 'ये चीजें कार्य मंत्रणा समिति में तय हो सकती हैं.'
मंत्री ने कहा कि राम मंदिर पर कानून 'आज की चर्चा का हिस्सा नहीं था'.
तोमर ने कहा, 'जब इस दिशा में कुछ सामने आएगा, तो हम आपको बताएंगे.'
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कांग्रेस राफेल मामले में जेपीसी जांच की मांग करेगी और ईवीएम के कथित दुरुपयोग का मामला उठाएगी.
उन्होंने कहा कि पार्टी इसके साथ ही राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए सरकार द्वारा जांच एजेंसियों के दुरुपयोग, किसानों की दुर्दशा, रुपये के कमजोर होने, पेट्रोलियम पदार्थो की कीमतों में वृद्धि, महिलाओं की सुरक्षा और आरबीआई की स्वायत्तता को कमजोर करने की कोशिश पर भी चर्चा की मांग करेगी.
उन्होंने कहा, 'हम लंबे समय से राफेल घोटाले में जेपीसी जांच की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार निर्णय लेने में विफल रही है. यह लोकतंत्र के लिए जरूरी है कि मतदाताओं का विश्वास ईवीएम पर बना रहे, लेकिन दुर्भाग्य से जब से भाजपा सत्ता में आई है, लोगों का ईवीएम से भरोसा उठ गया है, क्योंकि सत्तारूढ़ पार्टी इसका दुरुपयोग कर रही है.'
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29 दिन के इस सत्र में 20 बैठकें होंगी.
Source : IANS