Parliament Special Session: आज यानी 18 सितंबर से संसद के विशेष सत्र की शुरुआत होने जा रही है. पांच दिवसीय संसद के इस सत्र में देश के कई महत्वपूर्ण एजेंडों पर चर्चा होनी है. संसदीय कार्य मंत्रालय की तरफ जारी एक नोटिफिकेशन में बताया गया था कि विशेष सत्र के दौरान जी20 शिखर सम्मेलन, चंद्रयान-3 और आजादी के 75 साल पूरे होने के साथ ही कई अति महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की जाएगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद संसद के दोनों सदनों को संबोधित करेंगे. ऐसे में बहुत सारे लोगों के मन में सवाल है कि आखिर संसद के विशेष सत्र को बुलाने की जरूरत क्यों पड़ती है.
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आपको बता दें कि संसद तीन अंगों से मिलकर बनी है. राष्ट्रपति, लोकसभा और राज्यसभा. देश के संविधान में राष्ट्रपति को राष्ट्र का संवैधानिक मुखिया बताया गया है. लेकिन रोचक बात यह है कि देश के संवैधानिक प्रमुख होने के बाद भी राष्ट्रपति संसद के विशेष सत्र में हिस्सा नहीं लेते. बात करें संसद के विशेष सत्र की तो इसको बुलाने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 85(1) में दिया गया है. संसद का विशेष सत्र बुलाने के लिए सरकार के संसदीय मामलों की कैबिनेट कमेटी की सलाह और फिर उसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी की जरूरत होती है. भारत में संसद के तीन सत्र आयोजित किये जाते हैं. जिनमें शीतकालीन सत्र, बजट सत्र और मानसून सत्र शामिल हैं.
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यहां गौर करने वाली बात यह है कि देश के संविधान में संसद का विशेष सत्र बुलाने जैसा कोई उल्लेख नहीं है. लेकिन राष्ट्रपति के आदेश के बाद देश में अहम विधायी और राष्ट्रीय घटनाओं से संबंधित परिस्तिथियों को ध्यान में रखते हुए विशेष सत्र बुलाया जाता है.
Source : News Nation Bureau