राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष आतिफ रशीद ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी और जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर्स को चिट्ठी लिख कर पसमांदा समाज का आरक्षण कोटा बढ़ाने की मांग की है।आतिफ़ द्वारा लिखे गए पत्र कहा गया है कि मुस्लिम यूनिवर्सिटीज़ में भारतीय मुस्लिम समाज के पसमांदा तबके (पिछड़े वर्ग) का प्रतिनिधित्व अत्यन्त कम है। पसमांदा बिरादरी की संख्या भारतीय मुस्लिम समाज में 50 प्रतिशत से भी अधिक है। पसमांदा तबका भारतीय मुस्लिम समाज का शैक्षणिक, आर्थिक तथा सामाजिक रूप से अत्यंत पिछड़ा वर्ग है। पसमांदा मुस्लिमों की विभिन्न जातियाँ भारत सरकार व राज्य सरकारों द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के रूप में चिहिन्त की गयी हैं तथा विभिन्न सरकारें उन्हें इस का प्रमाण पत्र भी जारी करती हैं। पूरे भारत में पसमांदा तबके को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के रूप में शिक्षा व नौकरियों में आरक्षण की पात्रता है।
मुस्लिम यूनिवर्सिटीज़ के छात्रों में पसमांदा मुस्लिमों की संख्या काफी कम है। पसमांदा मुस्लिम छात्रों की कम संख्या न केवल गंभीर चिंता का विषय है, बलकी भारतीय मुस्लिम समाज के शैक्षणिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए दिये जा रहे 50 प्रतिशत आरक्षण/कोटा पर भी गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाती है। यूनिवर्सिटीज़ के वाइस चांसलर्स से मांग की है कि आगामी एडमिशन ईयर में यूनिवर्सिटी में पहले से लागू मुस्लिम/माइनॉरिटी/ इंटरनल कोटा में से 50% कोटा भारत के पसमांदा मुस्लिम बच्चों के लिए आरक्षित किया जाए, ताकि अपने अस्तित्व और पहचान की लड़ाई लड़ रहा मुसलमानों का पसमांदा समाज भी शिक्षा के क्षेत्र में बराबरी का हिस्सेदार बन सके।
Source : Rumman Ullah Khan