तिहाड़ जेल में निर्भया के हत्यारों की धड़कनें तेज हो गई होंगी. हो भी क्यों न, उन्हें फंदे पर लटकाने के लिए पवन जल्लाद तिहाड़ जेल जो पहुंच रहा है. 1 फरवरी को चारों दोषियों को फंदे पर लटकाने से पहले पवन जल्लाद तिहाड़ जेल में डमी फांसी देने का ट्रायल करेगा और इससे निर्भया के दोषियों के खून सूख जाएंगे. उधर, निर्भया के हत्यारे फांसी से बचने के लिए नित नई कवायद कर रहे हैं. मुकेश की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज होने के बाद विनय ने राष्ट्रपति के सामने दया याचिका पेश कर दी है. उससे पहले अक्षय ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर कर दी है.
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बताया जा रहा है कि फांसी की तारीख आगे बढ़ने पर भी पवन जल्लाद तिहाड़ में रहकर चारों दोषियों को डमी फांसी देने की प्रैक्टिस करेगा. इससे पहले तिहाड़ जेल चार बार डमी फांसी देने की प्रैक्टिस कर चुका है. इससे रस्सी की मजबूती आंकी जाती है. 1 फरवरी को फांसी देने के लिए जिस दिन कोर्ट ने ब्लैक वारंट जारी किया था, उसके बाद ही तिहाड़ ने पत्र लिखकर यूपी सरकार से 30 जनवरी को पवन जल्लाद को फांसी देने के लिए बुलाया था.
जैसे-जैसे फांसी की सजा के लिए मुकर्रर दिन पास आ रहा है, निर्भया के दोषी बचने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं. हालांकि विनय की ओर से दया याचिका दायर करने के बाद 1 फरवरी को होने वाली फांसी पर संशय के बादल मंडराने लगे हैं. विनय की दया याचिका से पहले अक्षय ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर कर दी है, जिसकी अभी सुनवाई बाकी है. निर्भया के चारों दोषियों में से मुकेश ने रिव्यू पिटीशन, क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका सभी का उपयोग कर लिया है. यानी अब उसके बचने के सारे रास्ते खत्म हो गए हैं.
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दोषी अक्षय की रिव्यू पिटीशन पिछले साल 2019 के दिसंबर में खारिज हो चुकी है तो मंगलवार को उसने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन फाइल कर दी है. उसने अब तक राष्ट्रपति के सामने दया याचिका भी नहीं डाली है. एक अन्य दोषी पवन गुप्ता की रिव्यू पिटीशन जुलाई 2018 में खारिज हो चुकी है. उसने अब तक क्यूरेटिव पिटीशन नहीं डाली है. साथ ही दया याचिका दाखिल करने का विकल्प भी उसके सामने खुला हुआ है.
चौथा दोषी विनय शर्मा की भी रिव्यू पिटीशन जुलाई 2018 में खारिज की जा चुकी है तो इसी महीने उसकी क्यूरेटिव पिटीशन सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी. उसके पास भी दया याचिका दाखिल करने का विकल्प बचा हुआ है.
Source : News Nation Bureau