पूर्वोत्तर के प्रतिबंधित संगठन यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF) ने आखिरकार केंद्र और राज्य सरकार के साथ लंबी वार्ता के बाद शांति समझौते पर हस्ताक्षकर कर दिए. मणिपुर हिंसा (Manipur Voilence) को लेकर राज्य में शांति के प्रयास बीते काफी समय चल रहे थे. राज्य और केंद्र सरकार कई तरह के प्रयास कर रही थीं. बुधवार को इस कड़ी में सराकरों को बड़ी सफलता मिली है. मणिपुर के सबसे पुराने विद्रोही समूह ने स्थायी शांति समझौते को लेकर मंजूरी दे दी. सरकार कई दिनों से इस समूह से बातचीत में लगी थी। यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF) ने बुधवार को स्थायी शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर शेयर कर इसकी जानकारी दी.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा 'एक ऐतिहासिक मील का पत्थर हासिल हुआ!!! पूर्वोत्तर में स्थायी शांति स्थापित करने के लिए मोदी सरकार के अथक प्रयासों ने पूर्ति का एक नया अध्याय जोड़ा है, क्योंकि यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF) ने आज एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. मणिपुर का सबसे पुराना सशस्त्र समूह यूएनएलएफ हिंसा को छोड़ने और मुख्यधारा में शामिल होने के लिए सहमत है. मैं लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में स्वागत करता हूं और शांति और प्रगति के पथ पर उनकी यात्रा के लिए शुभकामनाएं देता हूं.
A historic milestone achieved!!!
Modi govt’s relentless efforts to establish permanent peace in the Northeast have added a new chapter of fulfilment as the United National Liberation Front (UNLF) signed a peace agreement, today in New Delhi.
UNLF, the oldest valley-based armed… pic.twitter.com/AiAHCRIavy
— Amit Shah (@AmitShah) November 29, 2023
ट्रिब्यूनल का होगा गठन
दरअसल, 26 नवंबर को मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने ऐलान किया कि राज्य सरकार यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF) के साथ एक ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने की तैयारी में है. इसके बाद मंगलवार को गृह मंत्रालय ने घोषणा की कि यह तय करने के लिए एक ट्रिब्यूनल का गठन किया जाएगा. ट्रिब्यूनल पता लगाएगा कि क्या मणिपुर के मैतेई उग्रवादी समूहों पर प्रतिबंध लागू करने के लिए पर्याप्त आधार है और क्या प्रतिबंध जारी रहना चाहिए.
हिंसा में 180 से अधिक लोगों की हुई थी मौत
बता दें कि मणिपुर में मैतई और कुकी समुदाय के बीच जोरदार हिंसक झड़पें हुईं. मैतई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में आदिवासी एकजुटता मार्च आयोजित किए थे, जिसके बाद से राज्य में हिंसा भड़क गई थी. इसमें 180 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं. गौरतलब है कि मैतई राज्य की आबादी का कुल 53 फीसदी हिस्सा हैं और उनमें से अधिकांश इंफाल घाटी में रहते हैं.वहीं कुकी और नागा समेत अन्य आदिवासी की जनसंख्या 40 फीसदी है.
Source : News Nation Bureau