पेगासस जासूसी मामले में बुधवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट का रुख काफी सख्त नजर आया. कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से कई गंभीर सवाल पूछे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोप संजीदा है, सरकार का स्टैंड क्लियर नहीं है, लिहाजा हम कमेटी का गठन करने जा रहे हैं. इसके साथ ही कोर्ट ने केन्द्र सरकार की ओर से खुद एक्सपर्ट कमेटी बनाने के सुझाव को भी खारिज कर दिया. कमेटी आठ हफ्ते में अपनी रिपोर्ट देगी. कोर्ट ने कहा कि हमारे सामने जिम्मेदारी है कि बिना राजनीतिक बहस में जाये सवैधानिक सिद्धान्तों की रक्षा की जा सके. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने खुद को विक्टिम बताते हुए निजता के अधिकार का हनन का हवाला दिया है. मैं खुद निजता के अधिकार को लेकर बात करता रहा हूं. टेक्नोलॉजी के इस युग में निजता के अधिकार की रक्षा सभी नागरिकों के लिए ज़रूरी है. कोर्ट ने कहा कि हर अधिकार पर उचित पाबंदी लगाई जा सकती है है, पर ये सब संविधानिक दायरे में होनी चाहिए.
कमेटी में ये होंगे शामिल
- आर वी रवीन्द्रन अध्यक्षता करेंगे
- आलोक जोशी (IPS)
- संदीप ओबराय
'कोर्ट नहीं रह सकता मूकदर्शक'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने याचिकाओं में तथ्य की कमी आई. ज़रूरी मैटीरियल उनके साथ उपलब्ध नहीं थे, आरोप साबित करने के लिए. कोर्ट ने सिर्फ मीडिया रिपोर्ट्स को लेकर दायर याचिका पर एतराज जाहिर किया. हालांकि कोर्ट ने कहा कि आरोप संजीदा थे, लिहाजा हमने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया. कोर्ट ने कहा कि केंद्र ने अपनी ओर से दाख़िल हलफनामे में मांगी गई सीमित जानकारी भी देने से इनकार किया. अगर ऐसा नहीं होता तो कोर्ट का बोझ कम होता. कोर्ट ने कहा कि सरकार हमेशा नेशनल सिक्योरिटी का यूं हवाला नहीं दे सकती. सरकार को अपना स्टैंड जस्टिफाई करना चाहिए था. कोर्ट मूकदर्शक नहीं रह सकता है.
Source : Arvind Singh