हिंदुओं के आराध्य देव भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो गया है. यह लंबे समय तक चलने वाले धार्मिक और राजनीतिक विवाद का केंद्र था, लेकिन कई अर्से बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने सभी सनातनियों को एक ऊर्जा दी, अब वह स्थान जहां भगवान राम का जन्म हुआ था. उसी स्थान पर मंदिर का उद्घाटन होने जा रहा है. अयोध्या के राम मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है. यह मंदिर उस स्थान पर बनाया गया है जिसे सबसे प्रतिष्ठित हिंदू देवताओं में से एक भगवान राम का जन्मस्थान माना जाता है.
इस मंदिर को 16वीं शताब्दी में मुगल सम्राट बाबर ने ध्वस्त कर दिया था और उसके स्थान पर एक मस्जिद का निर्माण किया गया था, जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था. साल 1992 में हिंदू राष्ट्रवादियों द्वारा इसे ध्वस्त कर दिया गया, जिससे देश में व्यापक हिंसा और सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया था.
साल 2019 में लोगों को मिली एक खुशी
अयोध्या के राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद दशकों से भारतीय राजनीति में एक विवादास्पद मुद्दा रहा है. यह विवाद उस स्थान के स्वामित्व के इर्द-गिर्द घूमता रहा, जहां बाबरी मस्जिद थी और क्या यह भगवान राम का जन्मस्थान था. मुस्लिम पक्षकारों का मानना था कि यहां कोई मंदिर था ही नहीं लेकिन खुदाई के दौरान जो साक्ष्य मिले, उसने साबित किया कि यहां हिंदुओं का मंदिर था.
साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले को सुलझाया गया और कोर्ट ने भी माना कि इस स्थान पर मंदिर को तोड़ मस्जिद बनाई गई थी. कई साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने राम मंदिर के पक्ष में अपना फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मंदिर का निर्माण श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र द्वारा किया जा रहा है, जो मंदिर के निर्माण की देखरेख के लिए भारत सरकार द्वारा गठित एक ट्रस्ट है.
किस तरह से बनाया जा रहा है मंदिर?
अयोध्या राम मंदिर मंदिर वास्तुकला की नागर शैली में विकसित किया जा रहा है. जिसकी विशेषता इसके ऊंचे शिखर हैं. यह मंदिर गुलाबी बलुआ पत्थर से बनाया जा रहा है और 2.77 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है. मंदिर एक बड़े प्रांगण से घिरा हुआ है और इसमें अन्य हिंदू देवताओं को समर्पित कई छोटे मंदिर बनाए जा रहे हैं. मंदिर की सबसे खास विशेषता विशाल शालिग्राम पत्थर है, यह काला पत्थर भगवान राम का प्रतीक माना जाता है और इसे नेपाल में गंडकी नदी से लाया गया है.
कितने क्षेत्र में फैला हुआ है मंदिर?
मंदिर 161 फीट ऊंचा है और इसमें तीन मंजिल हैं, प्रत्येक का अलग-अलग उद्देश्य है. पहली मंजिल भगवान राम को समर्पित है, जबकि दूसरी मंजिल भगवान हनुमान को समर्पित है, और तीसरी मंजिल अयोध्या के इतिहास और संस्कृति को प्रदर्शित करने वाला एक संग्रहालय है. मंदिर परिसर में एक यज्ञशाला या यज्ञ या हिंदू अग्नि अनुष्ठान आयोजित करने के लिए एक हॉल, एक सामुदायिक रसोई और एक चिकित्सा सुविधा भी शामिल है. मंदिर परिसर 67 एकड़ में फैला हुआ है और इसके एक प्रमुख सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र बनने की उम्मीद है, जो दुनिया भर से लाखों भक्तों को आकर्षित करेगा.
अयोध्या के लोगों के बीच जगी एक उम्मीद
अयोध्या राम मंदिर को हिंदुओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है. अब उम्मीद है कि यह मंदिर एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में अयोध्या के विकास में योगदान साबित होगा. इससे क्षेत्र में नौकरियां पैदा होने और आर्थिक विकास होने की भी उम्मीद है. मंदिर के निर्माण से अयोध्यावासियों के चेहरे एक अलग मुस्कान देखने को मिल रही है.
क्या कह रहे हैं अयोध्यावासियों?
अयोध्या के रहने वाले रंजन शर्मा का कहते हैं कि इस मंदिर से अयोध्या का रूप ही बदल जाएगा और अयोध्या के आने वाली पीढ़ियों को अयोध्या छोड़ने की जरुरत नहीं पड़ेगी.वहीं, मंदिर के पास फूल बेचने वाले अनवर कहते हैं कि मंदिर की वजह से हमारा रोजगार काफी बढ़ गया है. अब शहर में इतने श्रद्धालु आ रहे हैं कि दुकान पर एक आदमी से काम चलता ही नहीं है. साथ ही महिलाओं के अंदर एक अलग ही ऊर्जा देखने को मिल रही है.
पूजा-पाठ की दुकान चलाने वाली मंजू कहती हैं कि भगवान ने हमारी सुन ली और अब इतने लोग आ जाते हैं कि दिन में दुकान से निकलने का समय नहीं मिलता. इसके अलावा होटल और रेस्तरां के मालिकों ने भी अपनी खुशी जाहिर की है.
Source : News Nation Bureau