कोरोना वायरस संक्रमण से उबर चुके लोगों को कोविशील्ड का दूसरा डोज लेने की जरूरत नहीं होगी. इस बात का खुलासा ICMR नॉर्थईस्ट और असम मेडिकल कॉलेज की एक स्टडी में हुआ है. स्टडी से पता चला है कि पहले संक्रमित हो चुके लोगों में वैक्सीन का एक डोज भी पर्याप्त इम्यून प्रतिक्रिया तैयार करने में सक्षम है. जानकारों ने अनुमान लगाया है कि इससे देश में वैक्सीन की कमी की समस्या को दूर करने में मदद मिलेगी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एक्सपर्ट्स ने 18 और 75 साल के महिला और पुरुषों की स्टडी की थी. स्टडी के दौरान IgG एंटीबॉडीज का तीन अवधियों पर अनुमान लगाया गया था- वैक्सीन लेने से पहले, पहला डोज लेने के 25-35 दिन बाद और दूसरा डोज लेने के 25-35 दिनों के बाद. इस दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि उन लोगों में IgG एंटीबॉडी टाइट्रे खासतौर से ज्यादा था, जो पहले संक्रमित हो चुके थे और वैक्सीन का सिंगल डोज प्राप्त कर चुके हैं. स्टडी में कुल 121 लोग शामिल थे. IgG से एक व्यक्ति की इम्युनिटी लेवल के बारे में पता चलता है.
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स्टडी के परिणामों से पता चला है कि सीरोपॉजिटिविटी के मामलों में पहले डोज की तुलना में दूसरे डोज ने एंटीबॉडी टाइट्रे को खास नहीं बढ़ाया था. एक्सपर्ट्स इस स्टडी के जरिए ऐसे लोगों में कोविशील्ड की इम्यून प्रतिक्रिया की जानकारी जुटा रहे थे, जो पहले संक्रमित हो चुके हैं और जो कोरोना का शिकार नहीं हुए हैं. इस रिपोर्ट में बगैर इम्युनिटी वाले लोगों को वैक्सीन देने पर जोर दिया गया है. साथ ही वैक्सीन की प्राथमिकता तय करने की बात भी की गई है.
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रिपोर्ट के अनुसार, 'ट्रायल्स में कम लोगों के शामिल होने के बावजूद प्रमुख परिणाम समान रहे कि पहले से इम्युनिटी प्राप्त लोग समान रूप से उच्च एंटीबॉडी टाइटर्स तैयार करते हैं.' गुरुवार सुबह सात बजे तक के सरकारी आंकड़े बताते हैं कि देश में 30 करोड़ 16 लाख 26 हजार 028 वैक्सीन डोज दिए जा चुके हैं. इनमें पहले डोज की संख्या 24 करोड़ 82 लाख 24 हजार 925 है. जबकि, दूसरे डोज के मामले में यह आंकड़ा 5 करोड़ 34 लाख 01 हजार 103 है.
HIGHLIGHTS
- एक्सपर्ट्स ने 18 और 75 साल के महिला और पुरुषों की स्टडी की थी
- स्टडी में कुल 121 लोग शामिल थे
- स्टडी के दौरान IgG एंटीबॉडीज का तीन अवधियों पर अनुमान लगाया गया था
Source : News Nation Bureau