Advertisment

BJP नेता चिन्मयानंद की जमानत को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज

न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट पहले ही अपने आदेश में जमानत देने का कारण बता चुकी है.

author-image
Ravindra Singh
New Update
supreme court

सुप्रीम कोर्ट( Photo Credit : न्‍यूज स्‍टेट)

Advertisment

सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा नेता चिन्मयानंद को कानून की छात्रा के यौन शोषण मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत को रद्द करने की मांग वाली याचिका मंगलवार को खारिज कर दी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि यह आपसी लेनदेन का एक मामला है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता द्वारा मामले की सुनवाई दिल्ली स्थानांतरित करने के लिए दाखिल एक अलग याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य लोगों को एक नोटिस जारी किया. न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट पहले ही अपने आदेश में जमानत देने का कारण बता चुकी है.

तीन फरवरी को हाईकोर्ट ने चिन्मयानंद को जमानत दे दी थी. उन्हें उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में उनके ट्रस्ट द्वारा संचालित लॉ कॉलेज की एक छात्रा का यौन शोषण करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. हाईकोर्ट ने कहा था कि दोनों ने एक-दूसरे का इस्तेमाल किया. न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने कहा था, दोनों ही पक्षों ने अपनी हदें पार कर दी हैं. यह तय करना मुश्किल है कि किसने किसका शोषण किया. वास्तव में दोनों ने एक-दूसरे का इस्तेमाल किया.

यह भी पढ़ें-Delhi Violence: बाप करता था स्मग्लिंग और बेटा बना दंगाई, बेहद काला है शाहरुख का इतिहास

20 सितंबर को हुई थी चिन्मयानंद की गिरफ्तारी
चिन्मयानंद को पिछले 20 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था. पिछले साल अगस्त में कानून की 23 वर्षीय छात्रा ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिप जारी कर यौन शोषण का आरोप लगाया था. उसके बाद वह लापता हो गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने उसके बाद मामले में हस्तक्षेप किया था. एसआईटी ने इस मामले में छात्रा को भी गिरफ्तार किया था कि वह और उसके दोस्त चिन्मयानंद से कथित रूप से पांच करोड़ रुपये वसूलने का प्रयास कर रहे थे.

यह भी पढ़ें-Nirbhaya Case: जज ने निर्भया के दोषियों की फांसी पर अगले आदेश तक रोक लगाई

चिन्मयानंद पर है कानून की छात्रा से बलात्कार का मामला
इसके पहले उच्चतम न्यायालय की एक पीठ ने पूर्व कन्द्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद को यौन शोषण के मामले में जमानत देने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ याचिका की सुनवाई से सोमवार को खुद को अलग कर दिया. स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ कानून की एक छात्रा ने बलात्कार का मामला दायर कराया हुआ है. न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ के समक्ष चिन्मयानंद से संबंधित दो मामले सूचीबद्ध थे. इनमें दूसरा मामला चिन्मयानंद के खिलाफ उप्र की अदालत में लंबित मामले को दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित करने से संबंधित था.

यह भी पढ़ें-चिन्मयानंद की जमानत के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से न्यायालय पीठ ने खुद को अलग किया

3 फरवरी को मिली थी चिन्मयानंद को जमानत
पीठ ने इनकी सुनवाई से खुद को अलग करते हुये अपने आदेश में कहा, ‘प्रधान न्यायाधीश से आदेश प्राप्त करके दोनों मामलों को किसी अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाये जिसके सदस्य न्यायमूर्ति भानुमति और न्यायमूर्ति बोपन्ना नहीं हों.’ याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गॉन्साल्विज ने कहा था कि इन मामलों पर शीघ्र सुनवाई की जानी चाहिए. पीठ ने न्यायालय की रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि दोनों मामलों को शीघ्र सूचीबद्ध करने के लिये उचित आदेश प्राप्त किये जायें. उच्च न्यायालय ने तीन फरवरी को चिन्मयानंद को शाहजहांपुर में उनके ट्रस्ट द्वारा संचालित कालेज में पढ़ने वाली कानून की छात्रा के यौन शोषण के मामले में जमानत दे दी थी.

Supreme Court swami chinmyananda case BJP Leader Chinmyanand Rape with Law student chinmyanand bail
Advertisment
Advertisment
Advertisment