संविधान से इंडिया शब्द हटाकर देश का आधिकारिक नाम सिर्फ भारत रखे जाने की मांग वाली याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुनवाई से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इसे लेकर कोई आदेश पास नहीं कर सकता. याचिकाकर्ता सरकार के सामने अपनी मांग को लेकर ज्ञापन दे सकते है. सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े (CJI Sharad Arvind Bobde) ने कहा, इंडिया को ख़ुद संविधान में भारत कहा गया है.
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याचिकाकर्ता का कहना था कि अनुच्छेद 1 से इंडिया शब्द को हटाया जाना चाहिए क्योंकि यह गुलामी का प्रतीक है. इसके बजाय देश का नाम भारत या हिंदुस्तान ही होना चाहिए. ऐसा करना देश में राष्ट्रीय स्वाभिमान का संचार करेगा. हालांकि कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी. इस बारे में वकील ज्ञानंत सिंह का मानना है कि यह संसद के अधिकार क्षेत्र का मामला है और वही इस पर विचार कर सकती है.
बीजेपी नेता उमा भारती ने दो दिन पहले इस मामले को लेकर एक के बाद एक सात ट्वीट किए थे. उनका कहना था, 'एक देश या एक व्यक्ति के दो नाम नहीं होते जैसे कि सूर्य प्रकाश that is सनलाइट, ऐसा किसी का नाम नहीं होगा. इसी तरह से इंडिया that is भारत किसी का नाम होना हास्यास्पद है.'
उमा भारती ने यह भी कहा, 'शायद भारत माता नरेंद्र मोदी जी के प्रधानमंत्री होने की प्रतीक्षा में थी कि उसके माथे पर जो इडिया शब्द का दाग लगा है, उसको अब हम पोंछ दें.'
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाराज भरत ने भारत का संपूर्ण विस्तार किया था और उनके नाम पर ही इस देश का नाम भारत पड़ा. मध्य युग में तब तुर्क और ईरानी यहां आए तो उन्होंने सिंधु घाटी से प्रवेश किया. वो स का उच्चारण ह करते थे और इस सिंधु का अपभ्रंश हिंदू हो गया. हिंदुओं के देश को हिंदुस्तान का नाम मिला. अंग्रेजों ने इंडस वैली यानी सिंधु घाटी के आधार पर इस देश का नाम इंडिया कर दिया था, क्योंकि भारत या हिन्दुस्तान कहना उनके लिए मुश्किल होता था.
Source : News Nation Bureau