सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई के जज के रूप में उनके आचरण की जांच करने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. इस याचिका में तीन सदस्यीय न्यायाधीश के पैनल से पूर्व न्यायाधीश रंजन गोगोई के जज के रूप में आचरण की जांच करने की मांग की गई थी. तीन सदस्यीय पैनल के न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और कृष्ण मुरारी की पीठ ने पाया कि याचिका लाए जाने के एक साल बीत जाने के बाद भी सुनवाई के लिए दबाव नहीं डाला गया. इसलिए याचिका निस्तारण योग्य नहीं है क्योंकि जस्टिस गोगोई सेवानिवृत हो चुके हैं.
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इस याचिका को दो वर्ष पर पहले पूर्व मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहते ही उनके आचरण की जांच के लिए दाखिल की गई थी. याचिका में कथित रूप से जज रहते हुए उन्होंने क्या किया और क्या नहीं किया इसकी जांच की जानी थी. पीठ ने का कहना है कि गोगाई ने कार्यालय छोड़ दिया है और याचिका अब निष्फल हो चुकी है. न्यायमूर्ति मिश्रा ने पाया कि व्यक्ति सेवानिवृत्त हो चुके हैं और इस रिट याचिका में अब कुछ नहीं बचा है. पूर्व न्यायाधीश रंजन गोगोई अब राज्य सभा के सांसद हैं.
पीठ ने याचिकाकर्ता अरुण रामचंद्र हुबलीकर को बताया कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है और साथ ही पूछा कि इस याचिका को उनके समक्ष पहले क्यों नहीं लाया गया. याचिकाकर्ता ने दलील दी कि वह याचिका को सूचीबद्ध करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के महासचिव से मुलाकात कर चुके हैं, फिर भी उनके याचिका को सूचीबद्ध नहीं किया गया.
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बता दें कि न्यायमूर्ति गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने नवंबर में अयोध्या में राम मंदिर मामले में फैसला सुनाया था. रंजन गोगोई 17 नवंबर 2019 को भारत के प्रधान न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे.
Source : IANS/News Nation Bureau