मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में जम्मू एवं कश्मीर (Jammu and Kashmir) की अनुच्छेद 370 (Article 370) को निष्प्रभावी बनाने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया को चुनौती देते हुए एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है. अधिवक्ता एम. एल. शर्मा द्वारा दायर की गई पीआईएल के अनुसार, अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए से संबंधित अधिसूचना संविधान की मूल भावना के विरुद्ध है और सरकार ने इस मामले में मनमाने और असंवैधानिक ढंग से काम किया है. याचिका में दावा किया गया है कि राष्ट्रपति का आदेश असंवैधानिक है और केंद्र को संसदीय तरीके से यह काम करना चाहिए था.
इसके पहले सोमवार को मोदी सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) को विशेष अधिकार देने वाले अनुच्छेद 370 (Article 370) को खत्म कर दिया. सरकार ने सोमवार को राज्यसभा में एक ऐतिहासिक संकल्प पेश किया, जिसमें अनुच्छेद 370 (Article 370) को हटाने के साथ ही राज्य का विभाजन जम्मू कश्मीर (Jammu kashmir) एवं लद्दाख के दो केंद्र शासित क्षेत्रों के रूप में करने का प्रस्ताव किया गया. जम्मू कश्मीर (Jammu kashmir) केंद्र शासित क्षेत्र में अपनी विधायिका होगी, जबकि लद्दाख बिना विधानसभा वाला केंद्रशासित क्षेत्र होगा. राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर के विभाजन का यह बिल 125 बनाम 61 के मुकाबले पास हो गया.
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जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) को विशेषाधिकार देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 ए को खत्म करने और दो केंद्र शासित राज्यों में बांटने के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने राज्य में लगातार कानून व्यवस्था पर नजर बनाए रखी है. राज्य में विरोध प्रदर्शनों के नाम पर हालात बिगड़ने की आशंका को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था को चौक चौबंद कर दिया गया है. सेना को मिली सूचना के अनुसार घाटी में 15 अगस्त से पहले आतंकवादी बड़ा IED ब्लास्ट, फिदायीन हमला और लोगों को बना सकते हैं.
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HIGHLIGHTS
- ऑर्टिकल 370 के खत्म किए जाने के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका
- जम्मू-कश्मीर में ऑर्टिकल 370 को लेकर ऐतिहासिक निर्णय
- मंगलवार को अधिवक्ता एम. एल. शर्मा ने डाली फैसले के खिलाफ PIL