आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्रियों से मीटिंग की, इस दौरान उन्होंने पेट्रोल-डीजल के बढ़े हुए दाम का जिक्र किया. दरअसल, देश में तेल की कीमत बढ़ती जा रही है. दिल्ली में 27 अप्रैल को पेट्रोल की कीमत 105.41 रुपए प्रति लीटर और डीजल 96.67 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है. बढ़ती तेल की कीमतों के चलते देश में ट्रांसपोर्टेशन और मैन्युफैक्चरिंग की लागत भी बढ़ गई है. इसके चलते सब्जियों समेत रोजमर्रा की तमाम चीजों की कीमतें आसमान छू रही हैं. महंगाई के मुद्दे पर सरकार विपक्ष के निशाने पर है. सोशल मीडिया पर लोग प्रधानमंत्री समेत बीजेपी के कई नेताओं के पुराने वीडियो शेयर कर रहे हैं और जमकर मीम बनाए जा रहे हैं.
#WATCH | Centre reduced the excise duty on fuel prices last November and also requested states to reduce tax. I am not criticizing anyone but request Maharashtra, West Bengal, Telangana, Andhra Pradesh, Kerala, Jharkhand, TN to reduce VAT now and give benefits to people: PM Modi pic.twitter.com/IPIuOJyTGK
— ANI (@ANI) April 27, 2022
3 राज्यों में सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी से भी ज्यादा वसूला जा रहा टैक्स
बीते साल नवंबर में केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर 5 रुपए और डीजल पर 10 रुपये एक्साइज ड्यूटी कम कर दिया था. इसके बाद देश के 23 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने भी नवंबर के पहले सप्ताह में ही वैट कम कर दिया था और 6 अन्य राज्यों ने बाद में वैट में कटौती की थी. 7 राज्यों ने अब तक वैट में कटौती नहीं की है. इसमें महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, झारखंड और तमिलनाडु शामिल हैं. इनमें से तीन राज्य ऐसे हैं जहां पेट्रोल-डीजल पर सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी से भी ज्यादा टैक्स वसूला जा रहा है. इसमें महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना शामिल हैं.
7 राज्य जिन्होंने नहीं किया वैट कम, कितना वसूल रहे टैक्स?
महाराष्ट्र में पेट्रोल पर 25%-26% वैट और 10.12 रुपए प्रति लीटर एडिशनल टैक्स और डीजल पर 21%-24% वैट और 3 रुपये प्रति लीटर एडिशनल टैक्स, राज्य की तरफ से वसूला जा रहा है. पश्चिम बंगाल में पेट्रोल पर 25% और डीजल पर 17% वैट, राज्य की तरफ से वसूला जा रहा है. तेलंगाना में पेट्रोल पर 35.20% और डीजल पर 27% वैट राज्य की तरफ से वसूला जा रहा है. आंध्र प्रदेश में पेट्रोल पर 31% वैट और 5 रुपए प्रति लीटर एडिशनल टैक्स और डीजल पर 22.25% वैट और 5 रुपये प्रति लीटर एडिशनल टैक्स, राज्य की तरफ से वसूला जा रहा है. केरल में पेट्रोल पर 31.08% वैट+सेस और 1 रुपए प्रति लीटर एडिशनल टैक्स और डीजल पर 28.76% वैट+सेस और 1 रुपये प्रति लीटर एडिशनल टैक्स, राज्य की तरफ से वसूला जा रहा है. झारखंड में पेट्रोल और डीजल दोनों पर पर 22% वैट और 1 रुपए प्रति लीटर सेस राज्य की तरफ से वसूला जा रहा है. तमिलनाडु में पेट्रोल पर 13% वैट और 11.52 रुपए प्रति लीटर एडिशनल टैक्स और डीजल पर 11% वैट और 9.62 रुपये प्रति लीटर एडिशनल टैक्स, राज्य की तरफ से वसूला जा रहा है.
बीजेपी शासित बड़े राज्यों में कितना टैक्स?
उत्तरप्रदेश में पेट्रोल पर 19.36% और डीजल पर 17.08% वैट, राज्य की तरफ से वसूला जा रहा है. उत्तराखंड में पेट्रोल पर 16.97% और डीजल पर 17.15% वैट, राज्य की तरफ से वसूला जा रहा है. हिमाचल प्रदेश में पेट्रोल पर 17.5% और डीजल पर 6% वैट, राज्य की तरफ से वसूला जा रहा है. हरियाणा में पेट्रोल पर 23.20% वैट+एडिशनल टैक्स और डीजल पर 21% वैट+एडिशनल टैक्स राज्य की तरफ से वसूला जा रहा है. मध्यप्रदेश में पेट्रोल पर 30% वैट+सेस और 2.5 रुपए प्रति लीटर एडिशनल टैक्स और डीजल पर 20% वैट+सेस और 1.5 रुपये प्रति लीटर एडिशनल टैक्स, राज्य की तरफ से वसूला जा रहा है.
आम लोगों की राहत से बड़ी खास लोगों की राजनीति
देश में बीजेपी शासित राज्यों और गैर-बीजेपी शासित राज्यों के तेल की कीमतों में बड़ा अंतर है. तेल की कीमतें तेल कंपनियां तय करती हैं, केंद्र सरकार सिर्फ एक्साइज ड्यूटी को कंट्रोल कर सकती है. एक आम धारणा है कि तेल की कीमतों को कंट्रोल करने का रिमोट केंद्र के हाथों में होता है. इसका पूरा फायदा उठाकर कई राज्य और खासकर गैर-बीजेपी शासित राज्य तेल के जरिए टैक्स के नाम पर आम लोगों से जमकर वसूली कर रहे हैं और बिल केंद्र पर फाड़ रहे हैं. यानी जब राजनीति और आम लोगों की राहत में से किसी एक को चुनना होता है, तो देश की राजनीतिक पार्टियां राजनीति को चुनती हैं.
तेल की कीमतों से समझिये कमाई का खेल
तेल राज्यों के लिए कमाई एक बड़ा जरिया है. आर्थिक संकट या राजस्व के घाटे से रिकवर करने के लिए सरकारें तेल की कीमत में खेल कर, आम लोगों का तेल निकाल देती हैं. इसको समझने के लिए हम कुछ आंकड़ों पर नजर डालते हैं. पीपीएसी के मुताबिक, वित्त वर्ष 2014-15 में केंद्र ने तेल पर वसूले जाने वाले ड्यूटी और टैक्स के जरिये 1 लाख 72 हजार 65 करोड़ रुपए की कमाई की, जबकि इसी वित्तीय वर्ष में राज्यों ने 1 लाख 60 हजार 554 करोड़ की कमाई की. 2015-16 में केंद्र ने 2 लाख 54 हजार 297 करोड़ रुपए की और राज्यों ने 1 लाख 60 हजार 209 करोड़ रुपए की कमाई की. 2016-17 में केंद्र ने 3 लाख 35 हजार 175 करोड़ रुपए की और राज्यों ने 1 लाख 89 हजार 770 करोड़ रुपए की कमाई की. 2017-18 में केंद्र ने 3 लाख 36 हजार 163 करोड़ रुपए की और राज्यों ने 2 लाख 6 हजार 863 करोड़ रुपए की कमाई की. 2018-19 में केंद्र ने 3 लाख 48 हजार 41 करोड़ रुपए की और राज्यों ने 2 लाख 27 हजार 591 करोड़ रुपए की कमाई की. 2019-20 में केंद्र ने 3 लाख 34 हजार 315 करोड़ रुपए की और राज्यों ने 2 लाख 21 हजार 56 करोड़ रुपए की कमाई की. 2020-21 में केंद्र ने 4 लाख 55 हजार 69 करोड़ रुपए की और राज्यों ने 2 लाख 17 हजार 650 करोड़ रुपए की कमाई की. वित्त वर्ष 2021-22 के शुरूआती 9 महीनों में केंद्र ने तेल पर वसूले जाने वाले ड्यूटी और टैक्स के जरिये 3 लाख 54 हजार 264 करोड़ रुपए की कमाई की, जबकि इसी वित्तीय वर्ष के शुरूआती 9 महीनों में राज्यों ने 2 लाख 7 हजार 658 करोड़ की कमाई की.
इस पूरे एनालिसिस से एक बात साफ है कि केंद्र और राज्यों की सरकारें बेहतर तालमेल से तेल की कीमतों में राहत मिल सकती है लेकिन सबसे जरूरी जब राजनीति हो तब आम लोगों की राहत सिर्फ चुनावी मौसम तक सीमित रह जाती है. देखना दिलचस्प होगा कि प्रधानमंत्री के सीधी अपील का असर राज्यों पर पड़ता है या नहीं.
HIGHLIGHTS
- तेल की कीमतों पर प्रधानमंत्री ने राहत न देने वाले राज्यों की क्लास ले ली
- 7 राज्यों नहीं की वैट में कटौती, 3 राज्यों में एक्साइज ड्यूटी से भी ज्यादा टैक्स
Source : Aditya Singh