देश के किसी भी पेट्रोल पंप (Petrol Pumps) ने अब अगर तेल चोरी करने की कोशिश की तो उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार पेट्रोल-डीजल (Petrol Diesel) की घटतौली को देखते हुए सख्त कदम उठा रही है. बता दें कि 20 जुलाई से देशभर में नया उपभोक्ता संरक्षण कानून 2019 (Consumer Protection Act 2019) लागू हो चुका है और इस कानून के लागू होने के बाद घटतौली कर रहे पेट्रोल पंप संचालकों के ऊपर नकेल कसना भी शुरू हो गया है.
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पेट्रोल पंप पर मानक के अनुरूप मिलेगा पेट्रोल-डीजल
बता दें कि देशभर में आम नागरिकों को पेट्रोल पंप से कम तेल मिलने की शिकायतें आती रहती हैं और उसे लेकर आए दिन परेशान रहते हैं. हालांकि अब नए उपभोक्ता संरक्षण कानून के आ जाने के बाद आम आदमी को बड़ी राहत मिल गई है. अब सभी पेट्रोल पंप के ऊपर सही मानक के अनुरूप पेट्रोल-डीजल (Petrol Diesel Rate Today) मिला करेगा. पेट्रोल पंप संचालक अब उपभोक्ताओं को चूना नहीं लगा पाएंगे. ग्राहकों की शिकायत होने पर पेट्रोल पंप के ऊपर जुर्माना तो लगेगा ही साथ ही उसका लाइसेंस भी रद्द हो सकता है.
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निरस्त भी हो सकता है पेट्रोल पंप का लाइसेंस
गौरतलब है कि शहर से लेकर ग्रामीण इलाके तक में कई पेट्रोल पंप संचालक घटतौली करके आम आदमी को चूना लगा रहे हैं. नए उपभोक्ता संरक्षण कानून के लागू हो जाने के बाद से अब मिलावटी और नकली उत्पादों की बिक्री और उत्पादन को लेकर भी काफी कड़े नियम तय कर दिए गए हैं. नए कानून के मुताबिक अगर कोई उपभोक्ता किसी पेट्रोल पंप से कम तेल मिलने की शिकायत करता है तो सक्षम न्यायालय के द्वारा दंड का प्रावधान किया गया है. जानकारी के मुताबिक पहली बार कोर्ट के द्वारा दोष साबित होने पर पेट्रोल पंप का लाइसेंस 2 साल की अवधि के लिए निलंबित भी हो सकता है. वहीं अगर लगातार दो बार शिकायत आती है तो कोर्ट स्थाई रूप से लाइसेंस को निरस्त कर सकता है. नए उपभोक्ता संरक्षण कानून से उपभोक्ताओं को घटतौली कर रहे पेट्रोल पंप के खिलाफ एक बड़ा हथियार मिल गया है.
नया कानून कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 (Consumer Protection Act 1986) का स्थान लेगा. नए कानून के तहत उपभोक्ताओं को पहली बार नए अधिकार मिल सकेंगे. उपभोक्ता अब किसी भी उपभोक्ता न्यायालय में मामला दर्ज करा सकता है.
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नए उपभोक्ता संरक्षण कानून की क्या हैं विशेषताएं
अगर कोई नये उपभोक्ता संरक्षण कानून की धारा 20 और 21 के तहत केंद्रीय प्राधिकरण के निर्देशों का अनुपालन नहीं करता है तो उसे छह महीने जेल की सजा या 20 लाख रुपये तक जुर्माना या दोनों हो सकता है. कानून में मिलावटी व खतरनाक वस्तु बनाने और बेचने वालों के लिए सख्त दंड का प्रावधान किया गया है. अगर ऐसे उत्पाद से उपभोक्ता को कोई नुकसान नहीं होता है तो ऐसी स्थिति में छह महीने तक जेल की सजा और एक लाख रुपये तक जुमार्ना का प्रावधान है.
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उपभोक्ताओं को मिलावटी वस्तु से जब नुकसान होता है, लेकिन गंभीर नुकसान नहीं होता है तो उस स्थिति में एक साल तक जेल की सजा और तीन लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है, लेकिन जब ऐसी वस्तु से उपभोक्ता को गंभीर नुकसान होता है तो वैसी स्थिति में सात साल तक जेल की सजा और पांच लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है. नये उपभोक्ता संरक्षण कानून के अनुसार, मिलावटी व खतरनाक वस्तु के कारण अगर उपभोक्ता की मौत हो जाती है तो ऐसी वस्तु बनाने वाले या बेचने वाले को कम से कम सात साल की जेल की सजा होगी, लेकिन उसे बढ़ाकर उम्रकैद तक की जा सकती है. साथ ही, जुर्माना भी 10 लाख रुपये से कम नहीं होगा.