केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भारत की उभरती तेल कूटनीति की शक्ति का विश्व में काफी ज्यादा प्रभाव पड़ा है. उन्होंने कहा कि इस बात का अंदाजा इससे लगता है कि विश्व के प्रभावशाली तेल उत्पादक और ग्लोबल एनर्जी मार्केट अब भारत के हितों को चिन्हित करते हुए काम कर रहे हैं. प्रधान ने कहा कि तेल की कीमतों और भेदकारी एशियाई अधिशुल्क के लिए भारत की आवाज का असर हुआ है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत की तेल और प्राकृतिक गैस पर विचारों और अनुभवों को साझा करने वाला महत्वपूर्ण द्विवार्षिकी कार्यक्रम वैश्विक तेल और गैस सहभागिता को मजबूत करेगा.
प्रधान ने मोदी सरकार की तेल कूटनीति और भारत की ऊर्जा सुरक्षा विषय पर बोलते हुए प्रधान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने पड़ोसी देशों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय संगठनों जैसे ओपेक, अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए), विश्व आर्थिक फोरम के साथ ऊर्जा साझेदारी मजबूत की है.
Strength of India’s emerging oil diplomacy stems from the fact that dominant oil producers & the global energy market now acknowledges & works for the best interests of India.India’s voice for responsible pricing & discontinuing the discriminatory #AsianPremium has gathered steam pic.twitter.com/a2uBdgmVU7
— Dharmendra Pradhan (@dpradhanbjp) December 20, 2018
उन्होंने कहा कि नीतियों में सुधार, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, विश्व की सबसे तेज उभरती अर्थव्यवस्था, ये सभी ऐसे कारक हैं जिसके कारण ऊर्जा क्षेत्र में भी भारत आकर्षित निवेश का स्थान बन पाया है.
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प्रधान ने कहा, 'माननीय प्रधानमंत्री ने कहा कि ऊर्जा एक वैश्विक सामग्री है. उन्होंने उत्पादक और उपभोग करने वाली अर्थव्यवस्था के बीच संतुलन बनाने का प्रयास किया है. यह इतिहास में पहली बार हुआ है कि ओपेक उपभोग करने वाले देश की आवाज को वरीयता दे रहा है जो कि मोदी जी की कूटनीति की वजह से संभव हो पाया है.'
Source : News Nation Bureau