मध्यप्रदेश में पकड़े गये पीएफआई के चार पदाधिकारियों से एटीएस ने पूछताछ प्रारंभ कर दी है. पीएफआई का अगला कदम एससी और एसटी वर्ग में अपनी पैठ बनाना था, जिसके लिये काम प्रारंभ कर दिया गया था. एटीएस की पूछताछ में यह जानकारी सामने आयी है. भविष्य में चुनावी राजनीति में भी कदम रखने की पीएफआई की मंशा है. एनआईए ने इंदौर से अब्दुल करीम, अब्दुल खालिद, मौहम्मद जावेद और उज्जैन से जमील शेख केा गिरफतार किया था. एनआईए ने इन चारों आरोपियों से पूछताछ के लिये एटीएस के हवाले कर दिया है. एटीएस ने कोर्ट से इन चारों को 7 दिन के पुलिस रिमांड पर ले लिया है.
प्रारंभिक पूछताछ में इन चारों से इस बात की जानकारी मिली है कि चरणबद्ध तरीके से यह लोग अपने मंसूबों का अंजाम दे रहे थे. पहले चरण में अल्पसंख्यकों को अपने साथ जोड़ने का काम किया जा रहा है. इसमें युवाओं के ब्रेन वॉश करने का काम भी किया जा रहा था. बड़े पैमाने में पीएफआई ने अपने साथ युवाओं को जोड़ लिया है. सिमी की तर्ज पर मालवा में सर्वाधिक सक्रियता रखी गयी थी. मालवा निमाड़ में युवाओं को अपने साथ जोड़कर उनका ब्रेन वॉश करने का काम किया जा रहा था. पीएफआई ने अपने साथ प्रदेश में सैंकड़ो युवाओं को जोड़ लिया था. 500 से अधिक सक्रिय और 2500 से अधिक प्राथमिक सदस्य पूरे प्रदेश में जोड़ लिये गये हैं.
दूसरे चरण में एससी और एसटी वर्ग केा भी अपने साथ जोड़ने की योजना थी. पीएफआई के पदाधिकारियों के पास से मिले दस्तावेजों में इस बात की जानकारी मिली है. एससी और एसटी वर्ग के गरीब लोगों केा हिन्दुओं से कैसे अलग किया जाये इसे लेकर अभियान चलाने की तैयारी थी. इससे संबंधित साहित्य भी छापे के दौरान बरामद हुआ है. अपने साथ जुड़ रहे लोगों केा ट्रेनिंग देकर सिमी की तर्ज पर ऐसी टीम तैयार की जा रही थी जो कि अपने नेता के एक इशारे पर कुछ भी करने केा तैयार हो जाये.
पीएफआई की फंडिंग की जांच ईडी के द्वारा की जा रही है. पीएफआई के द्वारा आने वाले समय में चुनावी राजनीति में उतरने का भी मंसूबा था. इसके लिये ही मुस्लिमों के अलावा अन्य हिन्दू विरोधियों केा अपने साथ कैसे जोड़ा जा सके इस दिशा में काम किया जा रहा था. एटीएस इस बात की पूछताछ कर रहा है कि प्रदेश में ऐसे कौन से लोग हैं जो कि इस संगठन के साथ हैं. पूछताछ में यह बात तो साफ हो गयी है कि एक बड़ा इस्लामिक संगठन बनाये जाने की दिशा में काम हो रहा है जिसके जरिये कई कामों को अंजाम दिया जाना था.
Source : Nitendra Sharma