अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (एबीएपी) ने जारी महामारी के मद्देनजर कांवड़ यात्रा रद्द करने के योगी आदित्यनाथ सरकार के फैसले का समर्थन किया है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्य सरकार से इस कार्यक्रम को रद्द करने के लिए कहने के बाद कांवर संघों ने शनिवार देर रात यात्रा बंद करने का फैसला किया।
उत्तराखंड ने पहले ही कांवड़ यात्रा रद्द कर दी थी।
एबीएपी के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा, अखाड़ा परिषद की ओर से मैं शिव भक्तों से अपील करना चाहता हूं कि वे कोविड-19 महामारी की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए कांवड़ यात्रा न निकालें। अपने घर में पार्थिव शिवलिंग (मिट्टी से बना शिवलिंग) और गंगा नदी का जल या गांव के तालाब का जल भगवान शिव को अर्पित करें।
उन्होंने आगे कहा कि हालांकि राज्य के मुख्यमंत्री चाहते थे कि सभी निर्धारित कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए कांवड़ यात्रा निकाली जाए, लेकिन साथ ही यह भक्तों की नैतिक जिम्मेदारी है कि वे देखें कि उनके कार्य महामारी की तीसरी लहर को ट्रिगर करने की संभावना को बढ़ाएं नहीं।
गिरि ने कहा, इसलिए यह सलाह दी जाती है कि पूजा अपने-अपने घरों में पार्थिव शिवलिंग बनाकर की जानी चाहिए या सभी भक्त पड़ोसी शिव मंदिर में जाने का फैसला करते हैं, तो उन्हें निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि आम आदमी का जीवन भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि धार्मिक प्रथाएं, इसलिए सबसे अच्छा विकल्प यह है कि पिछले साल की तरह इस साल भी हमें यात्रा नहीं करनी चाहिए।
जूना अखाड़े के मुख्य संरक्षक महंत हरि गिरि ने कहा, अखाड़ा परिषद ने सही निर्णय लिया है क्योंकि कांवड़ यात्रा निकालते समय धार्मिक भावनाएं काफी अधिक होती हैं और भक्त अक्सर अपने और भीड़ और भक्तों के समूह के बीच सुरक्षित दूरी बनाए रखना भूल जाते हैं। यह वायरस फैलने के जोखिम को बढ़ा सकता है और अनावश्यक रूप से तीसरी लहर को आमंत्रित कर सकता है।
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Source : IANS