दिल्ली में ठंडी के दौरान फॉग की समस्या काफी बढ़ जाती है. प्रदूषण निवारण के लिए कई सरकारों ने अनेकों समाधान पेश की. गत सालों में ओड इवन (Odd Even) की चर्चा काफी रही थी. इस साल रेड लाइट पर बत्ती बंद करने का अभियान 'युद्ध प्रदूषण के विरुद्ध' काफी चर्चा में है. एनजीटी ने दीवाली में पटाखे न जलाने का आदेश दिया था.
प्रदूषण जैसे ज्वलंत मुद्दे के स्थाई समाधान के लिए पीआरएस दिल्ली की ओर से आयोजित किए गए जनरेशन नेक्स्ट आइडिया आइडिया सीरीज के वॉल्यूम -10 का आयोजन किया गया. इसमें सरकार, उद्यमियों, वरिष्ठ जनसंपर्क पेशेवरों व्यवसायियों, गैर सरकारी संगठन के लोगों ने भाग लिया. आपको बता दें कि इसका आयोजन पीआरएस दिल्ली के तत्वावधान में किया जाता है.
इस सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए पर्यावरण कर्मी पीपल बाबा ने कहा कि पौधे लगेंगे तो ही प्रकाश संश्लेषण बढ़ेगा और प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी अन्यथा धरती समस्याओं के दलदल में फसती जाएगी. अब सर्दियां ज्यादा ठंडी क्यों नहीं होती हैं? जैसी वे अतीत में हुआ करती थीं? के सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि यह मुख्य रूप से पेड़-पौधों के कम होने के वजह से कार्बन स्तर तेजी से बढ़ रहा है. बढ़ते तापमान का दूसरा कारण यह है कि पिछले कुछ वर्षों में बारिश का पैटर्न बदल गया है.
अगर हम दिल्ली एनसीआर का उदाहरण लेते हैं, तो दिल्ली एनसीआर ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी बारिश खो दी है. 2014 के बाद देखा जाए तो दिल्ली एनसीआर में एक साल में केवल 7-8 बार बारिश होती है जो प्रतिवर्ष लगभग 100 बार हुआ करती थी. प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया जो बारिश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और पेड़ों के घटने की वजह से यह प्रक्रिया बुरी तरह प्रभावित हो रही है.
Source : News Nation Bureau