दिल्ली हाईकोर्ट ने वित्त मंत्रालय, आवासी और शहरी मामलों के मंत्रालय से राय मांगी है. एक याचिका में मांग की गई है कि सभी चल-अचल संपत्तियों के कागजात को आधार से लिंक कराना चाहिए . पीठ ने ग्रामीण विकास और कानून मंत्रालय से भी जवाब मांगा है. अदालत भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई कर रही है. इसे 2019 में दायर किया गया था. बीते साल भाजपा नेता से कई मंत्रालयों का पक्ष बनाने को कहा था. सोमवार को जब सुनवाई हुई तो पाया कि रजिस्ट्री आवेदन में कुछ गलतियां हैं.
अदालत ने इसे दूर करने को कहा और अलग-अलग मंत्रालयों से जवाब दाखिल करने को कहा. केंद्र सरकार की ओर से पेश अडिशनल साॅलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि मामले में अहम मुद्दा उठाया गया है. कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई 18 जुलाई 2013 को करने वाला है. उपाध्याय ने प्राॅपर्टी को आधार से लिंक करने की मांग को लेकर कहा कि इस तरह से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा. कालाधन और बेनामी संपत्ति के लेनदेन पर रोक लगेगी. उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 21 के तहत तय लक्ष्यों को हासिल करने के लिए भ्रष्टाचार और काले धन और बेनामी संपत्ति पर सरकार उचित कदम उठने के लिए बाध्य है. उन्होंने कहा कि इससे कालेधन की उत्पत्ति पर रोक लगेगी.
गौरतलब है कि इससे पहले पैन कार्ड को आधार से जोड़ने को अनिवार्य किया गया था. अब सरकार संपत्ति को लेकर हो रही हेराफेरी को रोकने के लिए कठोर कदम उठाने की कोशिश कर रही है. इस मामले को लेकर एक याचिका पर सुनवाई बीते कई सालों से जारी है.
HIGHLIGHTS
- भाजपा नेता से कई मंत्रालयों का पक्ष बनाने को कहा था
- अलग-अलग मंत्रालयों से जवाब दाखिल करने को कहा
- कालाधन और बेनामी संपत्ति के लेनदेन पर रोक लगेगी