आगामी लोकसभा चुनाव से पूर्व केंद्र शासिल भाजपा सरकार भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु में जोरदार चुनावी प्रचार मे जुटी है. इसी बीच पीएम मोदी ने दोबारा कच्चाथीवू मुद्दे (Katchatheevu issue) पर द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) और कांग्रेस पार्टी पर जमकर हमला बोला है. मोदी ने एक न्यूज आर्टिकल का हवाला देते हुए कहा कि, कच्चाथीवू मुद्दे से जुड़ी नई जानकारी से DMK के डबल स्टैंडर्ड का खुलासा हुआ है. मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट शेयर कर कहा कि, बयानबाजी के अलावा, DMK ने तमिलनाडु के हितों की रक्षा के लिए कुछ नहीं किया है.
पीएम मोदी ने कहा कि, कांग्रेस और DMK पारिवारिक इकाइयां हैं. उन्हें केवल इस बात की परवाह है कि उनके अपने बेटे-बेटियां आगे बढ़ें. उन्हें किसी और की परवाह नहीं है. कच्चाथीवू पर उनकी संवेदनहीनता ने विशेष रूप से हमारे गरीब मछुआरों और मछुआरे महिलाओं के हितों को नुकसान पहुंचाया है. गौरतलब है कि, प्रधानमंत्री ने रविवार को भी इस मुद्दे पर कांग्रेस पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि, भारत की एकता, अखंडता और हितों को कमजोर करना कांग्रेस का 75 वर्षों से काम करने का तरीका रहा है.
क्या है कच्चाथीवू मुद्दा?
दरअसल कच्चाथीवू जमीन का वो टुकड़ा (द्वीप) है जो आज से नहीं, बल्कि बीते कई दशकों से विवादों से घिरा रहा है. असल में साल 1974 में, प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की सरकार ने पड़ोसी देश श्रीलंका के साथ एक समझौते किया था, जिसमें कच्चाथीवू द्वीप से भारत ने अपना अधिकार हटा लिया था.
तब से लगाकर अबतक यह कदम अत्यधिक विवादास्पद रहा है, विशेषकर तमिलनाडु में, जहां इसका व्यापक विरोध हुआ, क्योंकि इस द्वीप का इस्तेमाल पारंपरिक रूप से भारतीय मछुआरों द्वारा किया जाता था. वहीं उस वक्त DMK सांसद एरा सेझियान ने संसद में इसका कड़ा विरोध किया था और इसे उचित परामर्श के बिना क्षेत्र का आत्मसमर्पण बताया था.
हालांकि अब हाल ही में एक समाचार पत्र ने इस मुद्दे से जुड़ा बड़ा खुलासा किया है, जिसके मुताबिक दावा किया गया है कि, तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि ने केंद्र की घोषणा से पहले भारतीय अधिकारियों के साथ एक बैठक में समझौते को अपनी सामान्य स्वीकृति दे दी थी. प्राप्त जानकारी के अनुसार, ये मीडिया रिपोर्ट तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के अन्नामलाई द्वारा भारत और लंका के बीच 1974 के समझौते पर उनके प्रश्नों पर प्राप्त एक आरटीआई जवाब पर आधारित है, जब इंदिरा गांधी प्रधान मंत्री थीं. इस रिपोर्ट से पता चलता है कि, करुणानिधि को समझौते के बारे में जानकारी दी गई थी और उन्होंने इसे स्वीकार करने की इच्छा व्यक्त की थी.
Source : News Nation Bureau