प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अबू धाबी में बोचासनवासी अक्षर पुरूषोत्तम स्वामीनारायण संस्था या BAPS सोसायटी द्वारा निर्मित विशाल हिंदू मंदिर का उद्घाटन किया. इस दौरान पीएम मोदी ने पुजारियों के साथ मंदिर में पूजा-अर्चना भी की. उद्घाटन के बाद, पीएम मोदी ने "करोड़ों भारतीयों की आकांक्षाओं को पूरा करने" के लिए यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद को धन्यवाद दिया. बता दें कि, 27 एकड़ भूमि पर निर्मित, यह अबू धाबी में पहला हिंदू मंदिर होगा, जिसमें भारतीय संस्कृति और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की पहचान का अनूठा मिश्रण है.
इस आर्टिकल में आगे हम अबू धाबी में बने पहले हिंदू मंदिर के उद्घाटन कार्यक्रम से जुड़ी कुछ खास बाते जानेंगे...
- पीएम मोदी ने भव्य मंदिर के निर्माण में मदद के लिए यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद को धन्यवाद दिया.
- पीएम मोदी ने यह भी कहा कि यूएई, जो अब तक बुर्ज खलीफा, फ्यूचर म्यूजियम, शेख जायद मस्जिद और अन्य हाईटेक इमारतों के लिए जाना जाता था, ने अब अपनी पहचान में एक और सांस्कृतिक अध्याय जोड़ लिया है.
- यह मंदिर दुबई-अबू धाबी शेख जायद राजमार्ग के पास अल रहबा के पास अबू मुरीखा में संयुक्त अरब अमीरात सरकार द्वारा दान की गई 27 एकड़ जमीन पर बनाया गया है. शिलान्यास समारोह 2019 में हुआ था.
- मंदिर के अग्रभाग पर गुलाबी बलुआ पत्थर की पृष्ठभूमि पर सुंदर संगमरमर की नक्काशी है, जिसे राजस्थान और गुजरात के कुशल कारीगरों द्वारा 25,000 से अधिक पत्थर के टुकड़ों से तैयार किया गया है. गुलाबी बलुआ पत्थर का परिवहन राजस्थान से किया जाता था.
- मंदिर में वास्तुकला की पारंपरिक नागर शैली है. इसकी ऊंचाई 108 फीट है और इसमें सात शिखर हैं, जिनमें से प्रत्येक संयुक्त अरब अमीरात के सात अमीरातों में से एक का प्रतिनिधित्व करता है.
- बीएपीएस मंदिर सावधानीपूर्वक तैयार किए गए घाटों और गंगा और यमुना नदियों की विशेषताओं से घिरा हुआ है. मंदिर में दो केंद्रीय गुंबद हैं - 'डोम ऑफ हार्मनी' और 'डोम ऑफ पीस'. मंदिर के प्रवेश द्वार पर आठ मूर्तियां हैं, जो सनातन धर्म के मूल आठ मूल्यों का प्रतीक हैं.
- मंदिर स्थल में प्राचीन सभ्यताओं - माया, एज़्टेक, मिस्र, अरबी, यूरोपीय, चीनी और अफ़्रीकी - की कहानियां भी हैं, जो पत्थर में कैद हैं. संरचना पर 'रामायण' की कहानियां भी पाई जा सकती हैं.
Source : News Nation Bureau