पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका के पीछे हटने के फैसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असहमति जताते हुए कहा कि इस मुद्दे पर वो किसी भी देश का पक्ष नहीं ले रहे हैं, क्योंकि उनका ध्यान भावी पीढ़ी के लिए पर्यावरण संरक्षण पर है। उन्होंने कहा कि भारत प्रचीनकाल से ही पर्यावरण को लेकर जागरूक रहा है।
सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनेशनल इकोनॉमिक फोरम (एसपीआईईएफ) में इस मुद्दे पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में पीएम मोदी ने कहा, 'यह कोई वैसा मुद्दा नहीं है, जिसमें मुझे इस तरफ या उस तरफ जाना चाहिए। यह मुद्दा भावी पीढ़ी का है। वह पीढ़ी जिसने अभी जन्म नहीं लिया है। मैं उनके पक्ष में जाऊंगा।'
उन्होंने जर्मनी में कही गई अपने बयान को दोहराया, जिसमें उन्होंने कहा था, 'पेरिस (समझौता) हो या न हो, हमारी प्रतिबद्धता पर्यावरण बचाने की है। जो चीजें भावी पीढ़ी की हैं, उन्हें छीनने का हमें कोई अधिकार नहीं है।'
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इकोनॉमिक फोरम में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5,000 साल पहले लिखे गए अथर्ववेद का जिक्र किया, जो प्रकृति और उसके संरक्षण को समर्पित है।
उन्होंने कहा, 'हमारा यही मानना है कि प्रकृति का शोषण एक अपराध है।'
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प्रधानमंत्री ने पेरिस अग्रीमेंट का जिक्र करते हुए कहा, 'आपको जानकर खुशी होगी कि हिंदुस्तान में आज पारंपरिक से ज्यादा रिन्युअल एनर्जी के क्षेत्र में काम हो रहा है। हम पर्यावरण की रक्षा को लेकर एक जिम्मेवारी वाले देश के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
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Source : News Nation Bureau