प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि चहुंमुखी रणनीति से किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी होगी। प्रधानमंत्री ने फिर कहा कि किसानों को अधिसूचित फसलों के लिए लागत का 1.5 गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिया जाएगा।
मोदी ने मासिक पत्रिका 'स्वराज' को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि किसानों को 'ई-नाम' के माध्यम से उनकी फसलों का उचित दाम प्राप्त करने के अवसर भी मिलेंगे।
उन्होंने कहा कि किसानों की समृद्धि के लिए आय के साधन बढ़ाने और जोखिमों को कम करने की जरूरत है, क्योंकि सरकार ने 2022 तक उनकी आमदनी बढ़ाकर दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है।
मोदी ने कहा, 'किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए हम एक चहुंमुखी रणनीति का अनुसरण कर रहे हैं, जिसमें लागत कम करना, उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित करना, फसलों की कटाई और कटाई के बाद क्षति को न्यूनतम करना और आय सृजन के बेहतर अवसर पैदा करना शामिल है।'
उन्होंने कहा, 'अगर हमारी हस्तक्षेप की नीति पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि बीज से बाजार तक हर कदम पर किसानों की मदद करने का मकसद उसमें समाहित है।'
मोदी ने कहा, 'किसानों को न सिर्फ फसलों की लागत का 1.5 गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा, बल्कि उनको ई-नाम (इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट) की मदद से उचित दाम भी मिलेगा।'
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने पांच साल की अवधि में कृषि क्षेत्र के लिए 2.12 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया है, जबकि पूर्व में कांग्रेस की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने महज 1.21 लाख करोड़ रुपये का आवंटन कृषि के लिए किया था।
उन्होंने कहा, 'उनके विपरीत हमारी पहलें फाइलों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह जमीन पर भी कार्य कर रही हैं।'
मोदी ने कहा कि संप्रग शासन के दौरान किसानों को अवैज्ञानिक पद्धति से खेती करने को बाध्य किया गया।
उन्होंने कहा, 'उनको (किसानों) अक्सर यूरिया के लिए लाठी खानी पड़ती थी। उनके लिए कोई उचित फसल बीमा नहीं था और न ही उनको फसलों की उचित कीमत मिलती थी।'
प्रधानमंत्री ने कहा, 'वैज्ञानिक पद्धति से खेती करने के लिए किसानों को अब मृदा स्वास्थ्य कार्ड से लैस किया गया है। यूरिया की किल्लत अतीत की बात बन गई है और नीम लेपित यूरिया से पैदावार बढ़ रही है। अब किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के साथ समग्र फसल बीमा कवर मिल रहा है।'
मोदी ने निजी क्षेत्र से कृषि में निवेश बढ़ाने की अपील की, क्योंकि कुल निवेश में इसकी हिस्सेदारी महज 1.75 फीसदी है।
उन्होंने कहा, 'प्रौद्योगिकी से लेकर खाद्य प्रसंस्करण और आधुनिक मशीनरी से लेकर अनुसंधान तक निजी क्षेत्र के लिए भारी संभावनाएं हैं। अगर निजी क्षेत्र की बाजार समझ और विश्व की सर्वोत्तम कार्यप्रणाली के समन्वय का हमारे किसानों के कठिन श्रम और संकल्प के साथ मेल होगा तो यह किसानों और निजी क्षेत्र दोनों के लिए लाभकारी होगा।'
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Source : IANS