दुनिया की प्रमुख तेल एवं गैस कंपनियों के सीईओ (CEO)के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक शुरू हो चुकी है. देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें आसमान छू रही हैं. उम्मीद की जा रही है कि तेल एवं गैस कंपनियों के दिग्गजों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस बैठक में कीमतों को नीचे लाने को लेकर कोई ठोस समाधान निकलेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ इस बैठक में रूस की रोजनेफ्ट के चेयरमैन और सीईओ डॉ. आइगोर सेचिन, सऊदी अरब की सऊदी अरामको के प्रेसिडेंट और सीईओ अमीन नासिर, ब्रिटेन की ब्रिटिश पेट्रोलियम के सीईओ बर्नार्ड लूनी, अमेरिका की श्लमबर्जर लिमिटेड के सीईओ ओलिवर ली पेच, यूओपी की हनीवैल के प्रेसिडेंट और सीईओ ब्रायन ग्लोवर, रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और एमडी मुकेश अंबानी एवं वेदांता लिमिटेड के चेयरमैन अनिल अग्रवाल अन्य लोगों के साथ मौजूद हैं.
ग्लोबल तेल कंपनियों के सीईओ और तेल एवं प्राकृतिक गैस क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ प्रधानमंत्री मोदी की यह इस तरह की छठी सालाना बातचीत होगी. इस तरह के संवाद की शुरुआत साल 2016 में हुई थी. इस बार बैठक के दौरान तेल एवं गैस क्षेत्र के प्रमुख मसलों, सहयोग के संभवित क्षेत्रों और भारत में निवेश के बारे में भी बातचीत होगी.
बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस बैठक (PM meeting with CEO of global oil companies) के बारे में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सचिव तरुण कपूर ने जानकारी दी. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के साथ राउंडटेबल बैठक में हर ऑयल एवं एनर्जी कंपनी के सीईओ को बोलने के लिए 3 मिनट का वक्त दिया जाएगा. उसके बाद प्रधानमंत्री अपने विचार रखेंगे.
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बैठक के बारे में जानकारी देते हुए कपूर ने कहा कि इस बातचीत में ईंधन का उत्पादन बढ़ाने को लेकर और प्रयास किए जाने को लेकर संवाद होगा. क्योंकि पेट्रोल और डीजल की कीमतें बेहताशा रूप से बढ़ रही है और अब एक सीमा के बाहर चली गई हैं. उन्होंने कहा कि तेल उत्पादन करने वाले देशों को इस विषय पर प्रतिक्रिया देनी चाहिए. हम तेल कीमतों के अचानक से नीचे जाने का समर्थन नहीं करते हैं. लेकिन कच्चा तेल उत्पादन करने वाली कंपनियों को ये समझने की जरूरत है कि ईंधन की इतनी ऊंची कीमतें भी उचित नहीं हैं.
संभावना जताई जा रही है कि बैठक में तेल की कीमतों का लिमिट तय करने के लिए इस बातचीत में कोई व्यवस्था बन सकती है. साथ सरकार इस बात की जरूरत पर भी गौर कर रही है कि क्या किसी और प्राइस इंडेक्स के आधार पर तेल की खरीद की जा सकती है. अगर कीमतों में बहुत ज्यादा उतार चढ़ाव रहता है तो क्या भारत में अन्य स्रोतों से तेल का आयात किया जा सकता है. कीमतों में ये अस्थिरता लंबे समय तक नहीं रहने वाली है और ये सामान्य हो जाएगी. मांग और आपूर्ति के बीच बहुत ज्यादा अंतर नहीं है.
HIGHLIGHTS
- तेल एवं प्राकृतिक गैस के विशेषज्ञों से पीएम मोदी की यह छठी सालाना बातचीत
- ऑयल एवं एनर्जी कंपनी के सीईओ को बोलने के लिए 3 मिनट का वक्त दिया जाएगा
- ईंधन का उत्पादन बढ़ाने को लेकर और प्रयास किए जाने को लेकर संवाद