'हमारी सरकार अब ‘नयी ऊर्जा के साथ, नए भारत के निर्माण के लिए नयी यात्रा’ शुरू करेगी. वोट-बैंक की राजनीति में भरोसा रखने वालों ने अल्पसंख्यकों को डर में जीने पर मजबूर किया, हमें इस छल को समाप्त कर सबको साथ लेकर चलना होगा. हम उनके लिए हैं जिन्होंने हम पर भरोसा किया तथा उनके लिए भी हैं जिनका हमें विश्वास जीतना है.'
ये शब्द प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2019) में प्रचंड जीत हासिल करने के बाद संसद भवन के सेंट्रल हॉल में एनडीए (NDA) की मीटिंग के दौरान कहे. इसी के साथ उन्होंने अपने नारे, 'सबका साथ सबका विकास' में सबका विश्वास जोड़ा और एक नया नारा बनाया, 'सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास'. पीएम मोदी (PM Narendra Modi) ने ये नारा केवल कहने भर के लिए ही नहीं दिया था बल्कि उनकी 2.0 सरकार अब इसपर अमल भी कर रही है.
गिरिराज सिंह को चेतावनी
इसका उदाहरण है वो लोग जिनका विवादित बयान देने के चलते मंत्री पद से पत्ता कट गया फिर वो चाहे अनंत हेगड़े (Anant Hegde) हों या मेनका गांधी (Maneka Gandhi). वैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की ये नई सरकार इस बार लोगों का खासकर अल्पसंख्यकों का विश्वास जीतने के लिए कितनी सख्त है इसका अंदाजा इसी चीज से लगाया जा सकता है कि जब गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) ने इफ्तार को लेकर ट्वीट किया तो उन्हें अंतिम चेतावनी दे दी गई. दरअसल मंगलवार को गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) ने ट्वीट किया, 'कितनी खूबसूरत तस्वीर होती जब इतनी ही चाहत से नवरात्रि पे फलाहार का आयोजन करते और सुंदर सुदंर फ़ोटो आते??...अपने कर्म धर्म मे हम पिछड़ क्यों जाते और दिखावा में आगे रहते है???' गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) के इस ट्विट का बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और अन्य लोगों ने विरोध जताया. इसके बाद गृहमंत्री अमित शाह की तरफ से भी गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) को अंतिम चेतावनी दे दी गई. वैसे पिछली सरकार में भी गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) विवादित बयानों के चलते अक्सर सुर्खियों में रहते थे जिसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ता था. ऐसे में पीएम मोदी (PM Narendra Modi) ने सभी नेताओं को पार्लियामेंट्री मीटिंग के दौरान इस तरह की बयान बाजी से बचने की सलाह दे दी.
इन लोगों पर भी दिखा पीएम मोदी का एक्शन
इसके अलावा पीएम मोदी (PM Narendra Modi) का ये सख्त रवैया उस वक्त भी नजर आया जब नाथुराम गोडसे को देशभक्त बताने वाली साध्वी प्रज्ञा को पीएम मोदी मन से माफ करने से इनकार कर दिया. इतना ही नहीं उनके बयान समर्थन करने वाले अनंत हेगड़े को भी मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई. इसके अलावा पीएम मोदी का ये सख्त एक्शन मेनका गांधी पर दिखा जिन्हें इस बारह मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई. वजह थी चुनाव प्रचार के दौरान उनका विवादित बयान जिसमें उन्होंने वोटों के हिसाब से काम देने की बात कही थी.
हालांकि चर्चा फिलहाल ये भी हो रही है कि मेनका गांधी को स्पीकर (Speaker) बनाया जा सकता है. वैसे इन सब से एक बात तो साफ है कि पीएम मोदी की सरकार 2.0 में केवल नए चेहरे नहीं आए बल्कि सरकार का काम करने का तरीका भी थोड़ा बदल गया है. ऐसे में अगले पांच सालों में किन-किन नेताओं पर पीएम मोदी की लाठी चलेगी ये देखना दिलचस्प होगा.
Source : News Nation Bureau