स्वर्णिम विजय दिवस (Sawarnim Viay Diwas) की मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को 1971 के युद्ध के दौरान सशस्त्र बलों के साहस और बलिदान को याद किया. पीएम मोदी और रक्षा मंत्री ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (National War Memorial) पर पहुंचकर वीर और बलिदानी सैनिकों को नमन किया. स्वर्णिम विजय वर्ष पाकिस्तान के साथ साल 1971 के युद्ध में जीत और बांग्लादेश के गठन के 50 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में मनाया जा रहा है.
Delhi: Prime Minister Narendra Modi lays a wreath at the National War Memorial on the occasion of 50th #VijayDiwas pic.twitter.com/8t7mQI6AEo
— ANI (@ANI) December 16, 2021
पीएम मोदी ने ट्वीट कर इस अवसर के महत्व के बारे में भी बताया. उन्होंने ट्वीट में लिखा, '50वें विजय दिवस के अवसर पर, मैं मुक्तिजोद्धों, वीरांगनाओं और भारतीय सशस्त्र बलों के वीरों द्वारा महान वीरता और बलिदान को याद करता हूं. हमने साथ मिलकर दमनकारी ताकतों से लड़ाई लड़ी और उन्हें हराया. ढाका में राष्ट्रपति जी की उपस्थिति का प्रत्येक भारतीय के लिए विशेष महत्व है.'
On the 50th Vijay Diwas, I recall the great valour and sacrifice by the Muktijoddhas, Biranganas and bravehearts of the Indian Armed Forces. Together, we fought and defeated oppressive forces. Rashtrapati Ji’s presence in Dhaka is of special significance to every Indian.
— Narendra Modi (@narendramodi) December 16, 2021
सशस्त्र बल और उनकी उपलब्धियों पर गर्व
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस दिन को भारत के सैन्य इतिहास का स्वर्णिम अध्याय बताया. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, ‘स्वर्णिम विजय दिवस’ के अवसर पर हम साल 1971 के युद्ध के दौरान अपने सशस्त्र बलों के साहस और बलिदान को याद करते हैं. साल 1971 का युद्ध भारत के सैन्य इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है. हमें हमारे सशस्त्र बल और उनकी उपलब्धियों पर गर्व है. उन्होंने इंस्ट्रूमेंट ऑफ सरेंडर की एक तस्वीर भी साझा की.
This Day, That Year! pic.twitter.com/t9Tp73wvl2
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) December 16, 2021
अनंत लौ में समाहित हुआ स्वर्णिम विजय मशाल
बीते साल पीएम मोदी ने 16 दिसंबर को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर स्वर्णिम विजय मशाल जलाई थी. उन्होंने चार मशालें भी जलाईं जिन्हें अलग-अलग दिशाओं में भेजा गया था. यह चार मशालें सियाचिन, कन्याकुमारी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, लोंगेवाला, कच्छ के रण, अगरतला सहित देश के अलग-अलग हिस्सों में गईं. इन मशालों को प्रमुख युद्ध क्षेत्रों और साल 1971 के युद्ध के वीरता पुरस्कार विजेताओं और सेना के वरिष्ठों के घरों में भी ले जाया गया. आज श्रद्धांजलि समारोह के दौरान इन चारों मशालों को पीएम मोदी ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जल रही अनंत लौ में समाहित किया
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बांग्लादेश के दौरे पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद
पाकिस्तान के साथ साल 1971 में हुए युद्ध में विजय और बांग्लादेश गठन की 50वीं वर्षगांठ की याद में एक ओर जहां देश में अलग-अलग कार्यक्रम हो रहे हैं वहीं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बांग्लादेश दौरे पर पहुंचे हैं. इस मौके पर वहां होने वाले आयोजनों में हिस्सा लेने के साथ ही प्रधानमंत्री शेख हसीना से द्विपक्षीय वार्ता में भी राष्ट्रपति कोविंद शामिल होंगे. विजय दिवस की स्वर्ण जयंती के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में ‘गेस्ट ऑफ ऑनर’ के तौर पर उनका सम्मान किया जाएगा.
HIGHLIGHTS
- विजय दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बांग्लादेश के दो दिनों के दौरे पर पहुंचे
- स्वर्णिम विजय मशालों को पीएम मोदी ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर अनंत लौ में समाहित किया
- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विजय दिवस को भारत के सैन्य इतिहास का स्वर्णिम अध्याय बताया