मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना,
लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती बस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती
मशहूर शायर मुनव्वर राणा की इस शायरी में व्यक्त 'मां'... शब्द का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन में क्या योगदान है। यह पूरी दुनिया ने देखा है।
1. सिंतबर 2015 में मार्क ज़करबर्ग के साथ प्रधानमंत्री मोदी की जब मुलाकात हुई तो इस बातचीत के दौरान वो ख़ास पल जब अपनी मां हीराबेन के बारे में बात कर पीएम मोदी भावुक हो गए थे।
2. यह पहला मौका नहीं था जब पीएम मोदी और उनकी मां का भावनात्मक रिश्ता सामने आया। इससे पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब लोकसभा का चुनाव जीता तो उसके बाद सबसे पहले वो अपनी मां से मिलने गए और पांव छूकर उनका आशीर्वाद लिया था।
3. 67 साल के हुए प्रधानमंत्री मोदी हर बच्चे की तरह ही अपनी मां के आंखों के तारे है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे। बचपन में वो अपने पिता के साथ परिवार की आर्थिक मदद के लिए गुजरात के वडानगर रेलवे स्टेशन पर चाय बेचा करते थे। उनकी मां हीराबेन ने घरों में बर्तन मांज, झाड़ू पोंछा कर एक सहायक के तौर पर काम कर मोदी समेत बच्चों का लालन-पालन किया। संघर्षों में जीवनयापन करने वाले मोदी अपनी मां के बेहद ही करीब हैं।
4. शायद यही वजह है कि मां के कष्टों को करीब से देखकर मोदी के मन में खुद को तलाशने और तराशने की इच्छा ने जन्म लिया और आज इस मुकाम तक पहुंचाया। मां के प्रति मोदी का प्रेम व्यवहार अक्सर अनेक सार्वजनिक मंचों पर दिखता है। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद हीराबेन उनसे मिलने 7 आरसीआर भी आईं थी। पीएम बनने के बाद अपनी मां के साथ बिताए उनके खुशनुमा पल मीडिया में खूब साझा हुए थे। मां और बेटे के बीच का यह खूबसूरत रिश्ता बस देखते ही बनता है।
5. पीएम मोदी आज भी हर जन्मदिन पर अपने मां से मिलने जाते हैं और मां के चरणों में शीश नवां आशीर्वाद लेकर नए साल की यात्रा का शुभारंभ करते है।