वाकई जन्मदिन हमें उस दिन की याद दिलाता है जब हम इस दुनिया में आए थे. लेकिन हमारे कर्म ये तय करते हैं कि दुनिया इसे सिर्फ एक तारीख की तरह याद रखेगी या फिर इस तारीख को इतिहास के पन्नों में हमेशा-हमेशा के लिए दर्ज कर लिया जाएगा. ऐसी ही शख्सियत हैं महात्मा गांधी और सरदार पटेल की भूमि गुजरात के लाल नरेंद्र दामोदर दास मोदी. बेहद सादगी पसंद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में ही साफ कर दिया था कि उनके जन्मदिन पर कोई धूम धड़ाका नहीं होगा, इसलिए हर साल की तरह इस साल भी पीएम मोदी के जन्मदिन पर बीजेपी सेवा और समर्पण अभियान चला रही है.
यूं तो हर शख्स गुजर जाता है जमाने की राह में
है नाम रौशन उसी का जो काम करते हैं नेक ईमान से
17 सितंबर को ऐसे व्यक्ति का जन्मदिन जो भारतीय शासन के इतिहास में सबसे लंबे समय तक निर्वाचित प्रमुख रहा हो अगर सीएम, पीएम के कार्यकाल को मिला दें तो, देश और दुनिया में पीएम नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और उनकी ऐतिहासिक स्वर्णिम सफलता जगजाहिर है, बावजूद इसके सत्ता का अहंकार, कटुता, नकारात्मकता उनके व्यक्तित्व को छूकर भी नहीं गया है. उनके व्यक्तित्व की सहजता हैरान कर देती है. वो सामने वाले को ईजी कर देने में 70 सेकेंड का समय भी नहीं लेते, चाहे काम के कितने दबाव और तनाव में वो क्यों न हों.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देशवासियों के साथ अपना 71वां जन्मदिन मना रहे हैं. पीएम मोदी राजनीति के अब तक के सबसे बड़े नेता बनकर उभरे हैं. हर तरफ उनके काम करने के तरीके और इनर्जी के चर्चे रहते हैं. यहां तक कि लोग उन्हें अपना प्रेरणाश्रोत मान कर जीवन में कभी हार न मानने की ठान कर आगे बढ़ रहे हैं. कई कामों में मशगूल होने के बावजूद मोदी के चेहरे पर थकान और तनाव की जगह हमेशा एक सेहत भरी चमक बनी नजर आती रहती हैं.
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में कुछ ऐसी खास बातें हैं जो उन्हें उनके व्यक्तित्व को सबसे अलग बनाती हैं मां हीराबेन के बेटे सरकार की योजनाओं और अपने व्यवहार और व्यक्तित्व के मार्फत अनवरत अलग-अलग तरीके से लोगों को खुशियां बांटते हैं. कोई भी व्यक्ति पीएम मोदी से मिल ले या उनको जानने की कोशिश करे तो उनके व्यक्तित्व से प्रभावित हुए बिना रह हीं नहीं सकता. सार्वजनिक जीवन में पीएम की आलोचना करनेवाले कई नेता ऑफ रिकार्ड बातचीत में पीएम की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हैं. इस पर हैरानी नहीं होती..क्योंकि कुछ व्यक्तित्व होते हैं खास, बेहद खास.
17 सितंबर 1950 को दामोदरदास मोदी और हीराबा के घर जन्मे नरेंद्र मोदी का बचपन राष्ट्र सेवा की एक ऐसी विनम्र शुरुआत है, जो यात्रा अध्ययन और आध्यात्मिकता के जीवंत केंद्र गुजरात के मेहसाणा जिले के वड़नगर की गलियों से शुरू होती है. इतिहास के पन्नों में झांककर देखें तो मोदी बनने की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है. गुजरात के मेहसाणा जिले के वडनगर में जन्म लेने के बाद उनके लिए हालात कभी माकूल नहीं थे. उनका जन्म 17 सितंबर 1950 को दमोदरदास मूलचंद मोदी और हीराबेन मोदी के यहां हुआ था. जो बनिया समुदाय से ताल्लुक रखते थे. उनकी संघर्ष की गाथा तब शुरू हुई, जब एक किशोर के रूप में वो अपने भाई के साथ वडनगर में एक रेलवे स्टेशन के पास चाय स्टॉल लगाया करते थे. उन्होंने वडनगर से अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की और दिल्ली विश्वविद्याल से स्नातक करने के बाद गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में मास्टर की डिग्री हासिल की. नरेंद्र मोदी ने अपने कॉलेज के दिनों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ‘प्रचारक’ के रूप में काम किया. उन्होंने 17 वर्ष की उम्र में घर छोड़ दिया और अगले दो वर्षों तक देश भर में यात्रा की.
हमेशा रणनीतिकार और पार्टी में संगठन का काम करने वाले नरेंद्र मोदी ने 2001 से पहले कोई चुनाव नहीं लड़ा था. लेकिन कच्छ में भूकंप के बाद केशुभाई पटेल की सरकार के कामकाज पर सवाल खड़ा होने लगा था. इसके बाद मोदी को दिल्ली से गुजरात भेजा गया और गुजरात का मुख्यमंत्री बना दिया गया. राजकोट उपचुनाव से मोदी के जीवन का नया अध्याय शुरू हुआ. नरेंद्र मोदी के जीवन का ये पहला चुनाव था, लेकिन ये चुनाव किसी चुनौती से कम नहीं था. उसके बाद मोदी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. एक, दो नहीं बल्कि चार बार वो गुजरात के मुख्यमंत्री के पद पर आसीन हुए.
26 मई 2014 को उनके नेतृत्व में पहली बार किसी गैर-कांग्रेसी राजनीतिक दल को पूर्ण बहुमत मिला और वो देश के 15वें प्रधानमंत्री बने. 'सबका साथ, सबका विकास' और 'एक भारत श्रेष्ठ' के मूलमंत्र से उन्होंने देश का जो अभूतपूर्व सर्वांगीण विकास किया, इससे उन्होंने जन-जन के दिलों में अपनी जगह बनाई. जनता-जनार्दन के आशीर्वाद से 2019 के आम चुनाव में उन्हें ऐतिहासिक समर्थन मिला और 30 मई 2019 को दूसरी बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली.
Source : Prem Prakash Rai