ग्रामीण भारत में बदलाव के लिए बड़े सुधार की कोशिशों के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) रविवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भू-संपत्ति मालिकों को 'स्वामित्व' योजना के तहत संपत्ति कार्ड वितरित करने की योजना का शुभारंभ करेंगे. इस योजना के तहत लगभग एक लाख भू-संपत्ति मालिक अपने मोबाइल (Mobile) फोन पर एसएमएस से प्राप्त होने वाले लिंक से संपत्ति कार्ड डाउनलोड कर सकेंगे. संबंधित राज्य सरकारें संपत्ति कार्ड का फिजिकल वितरण करेंगी.
यह भी पढ़ेंःबिहार चुनाव : सोनिया, राहुल, प्रियंका, शत्रुघ्न कांग्रेस के 30 स्टार प्रचारकों में
6 राज्यों को 763 गांव होंगे लाभान्वित
इसके तहत 6 राज्यों के 763 गांवों के लोग लाभान्वित होंगे, जिसमें उत्तर प्रदेश के 346, हरियाणा के 221, महाराष्ट्र के 100, मध्य प्रदेश के 44, उत्तराखंड के 50 और कर्नाटक के 2 गांव शामिल होंगे. महाराष्ट्र को छोड़कर बाकी सभी राज्यों के लाभार्थी 1 दिन के अंदर फिजिकल कार्ड प्राप्त करेंगे, जबकि महाराष्ट्र के भू-स्वामियों को संपत्ति कार्ड मिलने में 1 महीने का समय लग सकता है, क्योंकि महाराष्ट्र सरकार संपत्ति कार्ड के लिए सामान्य शुल्क लागू करने का प्रबंध कर रही है.
यह भी पढ़ेंः पंचतत्व में विलीन हुए रामविलास पासवान, बेटे चिराग पासवान ने दी मुखाग्नि
लोन आदि में मिलेगा लाभ
इस योजना से भू-संपत्ति मालिक अपने संपत्ति को वित्तीय संपत्ति के तौर पर इस्तेमाल कर सकेंगे. इसका इस्तेमाल लोन आदि के आवेदन समेत अन्य आर्थिक लाभ के लिए किया जा सकेगा. इस योजना का शुभारंभ करने के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ लाभार्थियों से बात भी करेंगे. इस अवसर पर केंद्रीय पंचायती राज मंत्री भी उपस्थित रहेंगे. इस कार्यक्रम की शुरूआत 11:00 बजे होगी.
यह भी पढ़ेंः भारतीय मुसलमान पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा संतुष्ट : मोहन भागवत
क्या है स्वामित्व योजना
केंद्र सरकार के पंचायती राज मंत्रालय की ओर से शुरू की गई यह एक खास योजना है. इसके बारे में प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस, 24 अप्रैल 2020 को घोषणा की थी. इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को 'रिकॉर्ड ऑफ राइट्स' देने के लिए संपत्ति कार्ड का वितरण किया जाना है. इस योजना का क्रियान्वयन 4 वर्ष में चरणबद्ध ढंग से किया जाएगा. इसे 2020 से 2024 के बीच पूरा किया जाना है और देश के 6.62 लाख गांवों को कवर किया जाना है. इसमें से एक लाख गावों को आरंभिक चरण (पायलट फेज) में 2000-21 के दौरान कवर किया जाएगा. इस आरंभिक चरण में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और कर्नाटक के गांवों के साथ-साथ पंजाब तथा राजस्थान के सीमावर्ती कुछ गांव शामिल होंगे.